
केस 1 - एक व्यापारी को बैंक अकाउंट अपडेट के नाम पर लिंक भेजा गया। लिंक खोलते ही आटीपी प्राप्त हुआ और कुछ ही सेकेंड में खाते से 17 हजार रूपए कट गए। व्यापारी ने बताया कि सर्द सुबह अचानक आए संदेश को देखकर बिना सोचे लिंक खोल दिया।
केस 2 - एक युवक ने ऑनलाइन ऐप की दिक्कत सर्च की। गूगल पर दिखे कस्टमर केयर नंबर से बात करते ही उसे स्क्रीन शेयरिंग ऐप डाउनलोड करवाया गया। कुछ ही देर में खाते से 62 हजार रुपये ट्रांसफर हो गए।
केस 3 - एक टैक्सी चालक को एक व्यक्ति ने पेमेंट न होने की शिकायत बताई और क्यूआर कोड भेजा। स्कैन करते ही राशि जुडऩे की बजाय 38 हजार रुपए कट गए। चालक ने बताया कि उसे क्यूआर कोड से मिलने वाली ठगी की जानकारी नहीं थी।
केस 4 - न्यू ईयर ऑफर के नाम पर होटल पैकेज की फर्जी वेबसाइट के चंगुल में आने के बाद एक पर्यटक ठगते-ठगते बच गया। उससे 74 हजार रुपए एडवांस मांगे गए। पर्यटक का बुकिंग कन्फर्मेशन फर्जी था और स्थानीय व्यक्ति ने पुष्टि की कि यह ठगी का मामला है, इसलिए नुकसान नहीं हुआ।
सरहदी जैसलमेर जिले में सर्दी का मौसम तापमान गिरा रहा है, लेकिन साइबर अपराधियों की सक्रियता भी बढ़ा रहा है। ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार बनाने के लिए एकबार फिर ठग गिरोह सक्रिय हो गया है। जानकारों के अनुसार सर्द मौसम में सुबह व शाम के समय सबसे अधिक गतिविधियां सामने आई हैं। साइबर सेल के विश्लेषण के अनुसार सर्दी के दिनों में लोग मोबाइल पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं, जल्दबाजी में कॉल और लिंक खोलते हैं और यही तेजी साइबर अपराधियों को अवसर देती है। गौरतलब है कि सर्दी में लोग सुबह जल्दी उठते और रात जल्दी सोते हैं। नींद और थकान के कारण निर्णय क्षमता प्रभावित होती है। फेस्टिवल सीजन के चलते ऑफर और डिस्काउंट का हमेशा से प्रचलन रहा है।
-फेक बैंक-केवाइसी अपडेट लिंक
-बिजली बिल कनेक्शन काटने की धमकी
-कूरियर पैकेज होल्ड लिंक
-डिजिटल वॉलेट अपडेट मैसेज
-क्यूआर कोड भेजकर पेमेंट प्राप्त करने का दावा
-न्यू ईयर होटल बुकिंग डिस्काउंट
-सोशल मीडिया अकाउंट वेरिफिकेशन लिंक
-साइबर अपराधियों के पास स्थानीय डेटा बेस
-बिजली विभाग, बैंकों और कूरियर कंपनियों जैसी पहचान का दुरुपयोग
-ग्रामीण इलाकों को आसान निशाना
-सोशल मीडिया पर फेक प्रोफाइल निर्माण
-डिजिटल पेमेंट की बढ़ती निर्भरता
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. जालमसिंह राठौड़ का कहना है कि ठंड का मौसम मनुष्य के व्यवहार को प्रभावित करता है। जल्दी उठना, मोबाइल संभालने में कठिनाई, ठंड में जल्दी निर्णय लेना—इन सभी वजहों से लोग सोच-समझकर प्रतिक्रिया नहीं दे पाते। साइबर अपराधी मौसम और मानव प्रवृत्ति को समझते हैं। ऐसे में जागरुक रहने की जरूरत है। आमतौर पर लोग डिस्काउंट और ऑफर्स पर लोग भरोसा करते हैं। साइबर ठग इसी का फायदा उठाते हैं।
Published on:
16 Dec 2025 08:49 pm
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