थार के सुनहरे धोरों पर अब प्लास्टिक की सफेद चादर फैलती जा रही है। रेगिस्तान की शुद्ध हवा और साफ रेत के बीच जगह-जगह बिखरी पॉलीथिन, बोतलें, डिस्पोजेबल सामग्री और अन्य प्लास्टिक कचरा अब जैसलमेर के लिए एक गहराता पर्यावरणीय संकट बन चुका है। सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि यह प्लास्टिक अब मवेशियों की जान का कारण भी बन रहा है। शहर की सडक़ों, बाजारों और विशेष रूप से पर्यटन क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा फैल चुका है। कई बार पशु इन्हीं पॉलीथिन में लिपटा भोजन खा जाते हैं, जिससे उनकी आंतें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और अंतत: उनकी मृत्यु हो जाती है।
पशु चिकित्सकों का कहना है कि हर वर्ष बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत पेट में प्लास्टिक जमा होने से होती है। इसके अलावा, प्लास्टिक जमीन में समाहित होकर जल स्रोतों को भी प्रभावित कर रही है। स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों का आरोप है कि प्रशासनिक सख्ती केवल कागजों तक सीमित है। खुलेआम पॉलीथिन का उपयोग अब भी जारी है। दुकानों पर थैले नहीं मिलते, लोग हर जगह प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं। नगर परिषद की सफाई व्यवस्था भी सुस्त है, जिससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार यदि अभी भी प्लास्टिक पर कठोर नियंत्रण नहीं लगाया गया तो आने वाले वर्षों में रेगिस्तान की जैव विविधता पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
प्रशासनिक स्तर पर सक्रियता लाई जाए, प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लागू हो, विकल्प के रूप में कपड़े और कागज के थैले अनिवार्य किए जाएं, और आमजन में जागरूकता फैलाई जाए। थार की पहचान उसकी शुद्धता और प्राकृतिक सौंदर्य रही है, लेकिन अब वही पहचान प्लास्टिक में उलझती जा रही है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और विकराल रूप ले सकता है।
Updated on:
24 Jun 2025 08:36 pm
Published on:
24 Jun 2025 10:34 pm