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जैसलमेर व पोकरण के बीच की दूरी 110 किलोमीटर, सैलानियों का अंतर 10 गुणा

-स्वर्णनगरी में आ रहे लाखों सैलानी लेकिन पोकरण नहीं पहुंच रहे हजारों भी -पर्यटन स्थलों की भरमार होने के बाद भी पर्यटन में पिछड़ रही परमाणुनगरी-पर्यटननगरी बनने की अपार संभावनाएं, प्रभावी प्रयासों की दरकार  

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जैसलमेर व पोकरण के बीच की दूरी 110 किलोमीटर, सैलानियों का अंतर 10 गुणा

जैसलमेर व पोकरण के बीच की दूरी 110 किलोमीटर, सैलानियों का अंतर 10 गुणा

परमाणु नगरी के तौर पर देश-दुनिया में मशहूर हो चुके पोकरण को अभी तक पर्यटन नगरी की पहचान नहीं मिल पाई है। चाहे किला हो या हवेलियां या फिर रेतीले धोरे...। स्वर्णनगरी की तरह पोकरण में भी पर्यटन के तौर पर खास पहचान बनाने की तमाम संभावनाएं मौजूद हैं, बावजूद सैलानियों के कदम यहां नहीं रुक रहे। हकीकत यह है कि जैसलमेर से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पोकरण में पर्यटकों की संख्या में 10 गुणा का अंतर देखा जा रहा है। जोधपुर व बीकानेर की तरफ से जैसलमेर जाने वाले 70 प्रतिशत पर्यटक पोकरण होकर गुजरते है, लेकिन लाखों की आवक में से केवल हजारों सैलानी ही पोकरण घूमने आते हैं। यहां रुकने वालों में भी गुजराती पर्यटक अधिक रहती है, जो रामदेवरा में बाबा की समाधि के दर्शनों के बाद उनके इतिहास से जुड़े फोर्ट, बालीनाथ महाराज के आश्रम के दर्शन करने यहां आते है और फिर जैसलमेर निकल जाते है।

संभावनाएं अपार, प्रयासों की दरकार-जैसलमेर में ऐतिहासिक सोनार किला है तो पोकरण में जोधपुर रियासत का महत्वपूर्ण ठिकाणा रहा बालागढ़ फोर्ट है।

-जैसलमेर में ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब है तो पोकरण में सालमसागर व रामदेवसर तालाब स्थित है। इनके घाट लाल पत्थर से बने हुए है।-जैसलमेर की पटवा हवेलियों के समान ही पोकरण के पुराने गली मोहल्लों में एक दर्जन से अधिक हवेलियां स्थित है।

-जैसलमेर के खुहड़ी, सम में रेतीले धोरों की ही तरह पोकरण क्षेत्र के लोहारकी व फलसूंड क्षेत्र में मखमली रेतीले धोरे स्थित है।-जैसलमेर में प्रतिवर्ष तीन दिवसीय मरु मेला आयोजित होता है। पोकरण में भी प्रतिवर्ष एक दिन का मरु मेले का आयोजन शुरू कर दिया गया है। -पोकरण के उत्तर दिशा में ऐतिहासिक पहाड़ है, जिस पर बना कैलाश टैकरी मंदिर पर्यटन स्थल बन सकता है।

- जैसलमेर के वॉर म्युजियम की तर्ज पर पोकरण में शक्तिस्थल मौजूद है।-पोकरण की लाल मिट्टी से बने बर्तन देशी के साथ विदेशी पर्यटकों को भी प्रिय है।

ये हो प्रयास तो बने बात

- पोकरण के ऐतिहासिक स्थलों का पर्यटन विभाग की ओर से वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन प्रचार कर देश व विदेश में बैठे पर्यटकों को अवगत करवाया जाए।- तालाबों का जीर्णोद्धार हो और पर्यटकों के घूमने व विश्राम के लिए विशेष व्यवस्था की जाए।

-शक्तिस्थल का जीर्णोद्धार कर यहां स्थित म्युजियम को पुन: शुरू करें और क्षतिग्रस्त हो चुके मॉडल की मरम्मत करवाएं। शक्तिस्थल को अत्याधुनिक तरीके से संचालित कर पर्यटकों के लिए शुरू करें।- जैसलमेर की तरह पोकरण में भी दो दिन तक मरु मेले का आयोजन किया जाए।

-यह आयोजन पोकरण के ऐतिहासिक स्थलों, रेतीले धोरों पर करने के साथ इसका प्रचार प्रसार एक महीने पहले से शुरू कर दें।-लोहारकी व फलसूंड के रेतीले धोरों का संरक्षण कर यहां विकास कार्य करवाए जाएं।

फैक्ट फाइल

- 110 किलोमीटर है जैसलमेर व पोकरण के बीच की दूरी-1974 व 1998 में हो चुके पोकरण क्षेत्र में परमाणु परीक्षण

- 700 साल से भी पुराना है पोकरण का इतिहास - 542 साल पहले बना था पोकरण का ऐतिहासिक लाल किला- 5 गांवों में है विशाल मरुस्थलीय मखमली धोरे - 7 से अधिक ऐसे धार्मिक स्थल है पोकरण में

प्रयास जरूरी

सरकारी तंत्र प्रयास करें तो पोकरण को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है और यहां देशी के साथ विदेशी सैलानियों का ठहराव सुनिश्चित किया जा सकता है।- राधाकिशन खत्री, संस्थापक पोकरण विकास संस्थान पोविस, पोकरण