खुले नाले दे रहे हादसों को न्योता
शहर में कई स्थानों पर अब भी नालों की पूरी तरह से कवरिंग नहीं हो पाई है। कहीं-कहीं सफाई करने के लिए पत्थर उठा कर साइड में रख दिए जाते हैं, फिर उन्हें वापस लगाना भूल जाते हैं। जिससे ये नाले आसपास के कचरे से भी अटते रहते हैं और आवाजाही करने वाले लोगों के साथ मूक पशुधन के लिए हादसे का कारण बन जाते हैं। नगरपरिषद ने विगत वर्षों में लाखों रुपए खर्च कर नालों का निर्माण करवाया है। कहीं पर लेवल सही नहीं होने तो कहीं अन्य तकनीकी कारणों से नालों से पानी आगे की ओर नहीं खिसकता है। इससे वे हर समय सड़ांध मारते रहते हैं।
अनियमितता का दंश
शहर की सफाई व्यवस्था पर विगत लम्बे अर्से से अनियमितता का दंश लगा हुआ है। जो काम रोजाना होना चाहिए, वह कई-कई दिनों के अंतराल से होता है। जिससे नाले-नालियों की साफ-सफाई भी प्रभावित हुई है। गत 25 नवम्बर के बाद नगरपरिषद बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो गया और प्रशासकीय व्यवस्था लागू हो गई। निर्वाचित पार्षदों का कार्यकाल खत्म हो जाने से आमजन की आवाज नगरपरिषद प्रशासन तक नहीं पहुंच पा रही है। शहरवासी अपनी पीड़ा निवर्तमान पार्षदों तक पहुंचाते भी हैं तो इसका असर अब नहीं के बराबर रह गया है। सोशल मीडिया पर लोग जब-तब अपना गुस्सा जाहिर करते हैं। जिम्मेदारों को इतने भर से शायद ही कोई फर्क पड़ता है। तत्परता से हो समाधान
आगामी बरसाती सीजन से पहले शहर के सभी नाले-नालियों की पूरी तरह से सफाई करवानी चाहिए। ऐसा नहीं होने के कारण बारिश के समय जगह-जगह पानी भर जाता है।
- सुभाषचंद्र, स्थानीय निवासी
शहर में जगह-जगह जल निकासी के लिए नाले बने हुए हैं। उनमें से कई तो काम ही नहीं आते और अनेक की समयबद्ध ढंग से सफाई नहीं होती। इस स्थिति में सुधार लाया जाना चाहिए। - मुकेश कुमार, स्थानीय निवासी