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गोवंश के लिए जान का जोखिम बना डंपिंग याड…र्आसपास के निवासियों के लिए सांस लेना भी दुभर

जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नगरपरिषद का डम्पिंग यार्ड जरूरी व्यवस्थाओं के अभाव में एक तरफ गोवंश के लिए जानलेवा स्थान बना हुआ है तो दूसरी ओर क्षेत्र में बसने वाली आबादी के लिए सांस का संकट।

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जैसलमेर बड़ाबाग क्षेत्र में स्थित डम्पिंग यार्ड में फैला कूड़ा करकट और मंडराता गोवंश।

जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नगरपरिषद का डम्पिंग यार्ड जरूरी व्यवस्थाओं के अभाव में एक तरफ गोवंश के लिए जानलेवा स्थान बना हुआ है तो दूसरी ओर क्षेत्र में बसने वाली आबादी के लिए सांस का संकट। शहर भर का कूड़ा-करकट और मृत पशु तक यहां लाकर डाल दिए जाते हैं। बड़ाबाग जैसी पुरानी विरासत क्षेत्र में यह डम्पिंग यार्ड जिम्मेदारों की अनदेखी की ज्वलंत मिसाल बन गया है। जहां तक नजर जाती है, बेशुमार प्लास्टिक, मृत पशुओं के शव, खाद्य पदार्थों का अपशिष्ट ही दिखता है। दुर्गंध इतनी तीक्ष्ण कि, सांस लेना भी मुश्किल होता है। यहां दिनभर गोवंश मंडराता रहता है। वे प्लास्टिक, होटलों आदि का बचा हुआ बासी भोजन और मृत पशुओं के अवशेष खाकर बीमार हो रहे हैं और काल के गाल में भी समा रहे हैं।

संक्रमण का बढ़ा खतरा

  • इस यार्ड की हालत लंबे समय से बदतर है। यहां चारदीवारी, गेट और निगरानी जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं तक नहीं हैं।
  • डम्पिंग यार्ड में शहर क्षेत्र से मृत पशु भी लाकर खुले में डाल दिए जाते हैं। इनकी सडऩ से आसपास दुर्गंध और संक्रमण का खतरा निरंतर बढ़ रहा है। भोजन की तलाश में भटकता गोवंश, इन सामग्रियों को खाकर बीमार पड़ रहा है।
  • क्षेत्र के ग्रामीणों ने इस समस्या के स्थाई समाधान को लेकर कई बार अपनी बात जिला व नगरपरिषद प्रशासन तक पहुंचाई है। गत चुनाव में मतदान के अधिकार का बहिष्कार तक किया गया, लेकिन आज तक समाधान की दिशा में आगे नहीं बढ़ा जा सका है।
  • ग्रामीणों ने इस वर्ष मार्च में डम्पिंग यार्ड में कचरा निस्तारण प्लांट की स्थापना के खिलाफ प्रशासन की मौजूदगी में आवाज मुखर की थी।
  • उनका कहना था कि इस यार्ड की वजह से गांव का पशुधन मर रहा है और लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। यह एक हेरिटेज साइट है और करीब दो दशक पहले प्रशासन ने केवल ग्रामसेवक की ओर से जारी एनओसी पर यहां डम्पिंग यार्ड की स्थापना करवाई। जबकि उस एनओसी पर सरपंच और अन्य ग्रामीण जनप्रतिनिधियों की सहमति नहीं ली गई थी।स्वयंसेवकों ने शुरू की पहलडम्पिंग यार्ड के ऐसे हालात को देखते हुए श्री करणी गो रक्षक दल ने वहां भूख-प्यास से जूझते पशुओं के लिए चारे और पानी की व्यवस्था शुरू की है। दल के सदस्य प्रतिदिन शहर से हरा चारा और सब्जियां लेकर यार्ड पहुंचते हैं और गोवंश को खिलाते हैं। साथ ही, वहां अस्थाई तालाब खुदवाकर उनके लिए पानी की सुविधा भी शुरू की गई है। दल के संयोजक हाकमदान झीबा ने बताया कि यार्ड में प्लास्टिक और जहरीले कचरे से बड़ी संख्या में गायों की मौत हो रही है। हमने अपनी ओर से प्राथमिक प्रयास किए हैं, लेकिन प्रशासन को स्थाई समाधान करवाना होगा। उन्होंने बताया कि, हमारी मांग है कि यार्ड की चारदीवारी और प्रवेश द्वार बनवाया जाए। साथ ही इस क्षेत्र में खुले घूमते गोवंश को गोशालाओं तक पहुंचाया जाए।