
पारे के आगे सब हारे, झुलसा जैसाण तो उबलती सरहद
जैसलमेर. गर्मी से राहत पाने के आम व खास लोगों के सभी जतन गर्मी के रौद्र रूप धारण कर लेने से बौने साबित होने लगे है। लोगों को गर्मी से न दिन में चैन मिल रहा है और न रात में राहत। सरहदी जिला इन दिनों आग की लपटों में घिरे होने का अभास करवा रहा है और दोपहर में अंगारों की बारिश जैसा अहसास हो रहा है। हकीकत यह है कि गत चार दिनों से तापमापी पारा लगातार 45 डिग्री के मनोवैज्ञानिक स्तर को एकदम से पार करते हुए 47 डिग्री तक पहुंच चुका है। जानकारों की मानें तो इस गर्मी के सीजन में जैसलमेर अधिकतम तापमान के अपने 29 साल पुराने रेकॉर्ड को तोड़ सकता है। गौरतलब है कि 3 जून, 1991 को जैसलमेर में अधिकतम तापमान 49.2 डिग्री दर्ज किया गया था। अब तक तापमान 47.4 डिग्री को छू चुका है। इन दिनों शहर सहित आस-पास के सभी गांव भीषण गर्मी से उबलने लगे है। भीषण गर्मी के चलते न आम आदमी को राहत है और न ही पशु-पक्षियों को ही चैन है। हर कोई तेज गर्मी से राहत पाने के जतन करता नजर आता है। लोगों का गर्मी से बुरा हाल हो रहा है। उधर, सीमा चौकियों पर लगे उपकरण 50 डिग्री के बीच सीमा पर तैनात बल के जवानों को गर्मी की भीषणता व लू के थपेड़ों से बचाना भी चुनौती बना हुआ है। जवानों को सजग होकर ड्यूटी देने के साथ गर्मी से बचाव करने की हिदायतें दी जा रही है। जवान भी तापघात से बचने को लेकर हर संभव जतन करते देखे जा सकते हैं। स्वर्णनगरी के बाजारों में ग्राहकी को मानों ग्रहण लग गया है। दिन में 11 बजते ही सड़कों पर सूनापन आ जाता है। सुबह 11 बजे के बाद से ही सड़कों पर आमदरफ्त एकदम से कम होना शुरू हो जाती है तथा दोपहर 1 बजे से अपराह्न 4 बजे तक तो व्यस्ततम मार्गों पर भी अघोषित कफ्र्यू जैसे हालात बन जाते हैं। शाम 5 बजे के बाद बाजारों व सड़कों पर रौनक लौटती है।
यूं कर रहे जतन
-गर्मी से बचने के लिए लोग एसी व कूलर के आगे बैठकर गर्मी से राहत पा लेते है।
-पशु-पक्षी धूप की बजाए छांव व ठंडे स्थान पर सुस्ता कर गर्मी से राहत लेते है।
-यात्री व राहगीर खुद को तरोताजा रखने के लिए बार-बार सिर व मुंह पर पानी उड़ेलकर गर्मी से राहत पाने का जतन करते देखे जा सकते है।
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50 डिग्री तापमान में काम आ रहा जलजीरा व नींबू-पानी
-सरहद पर तैनात जवान पारम्परिक तरीकों को अपना कर अपना बचाव कर रहे हैं।
-वे दिनभर शीतल जल के साथ नींबू पानी, जलजीरा आदि पीते रहते हैं।
-बल की ओर से वाहनों से पेट्रोलिंग को बढ़ाया गया है, जिससे जवानों को तपते मरुस्थल में ज्यादा पैदल न चलना पड़े।
-दोपहर के समय बहुत आवश्यक होने पर ही जवान धूप में निकलते हैं।
-सिर, मुंह और पूरा शरीर ढंक कर ड्यूटी कर रहे जवानों को गर्मी से बचाव के लिए प्रत्येक सीमा चौकी पर जरूरी उपाय किए गए हैं।
सात दिनों में पारे की चाल
दिन अधिकतम न्यूनतम
10 जून 43.7 29.4
11 जून 43.5 28.4
12 जून 43.7 29.2
13 जून 43.0 30.4
14 जून 43.0 30.0
15 जून 44.8 30.5
16 जून 47.4 29.9
17 जून 45.5 29.1
18 जून 44.0 28.2
Published on:
19 Jun 2020 11:02 am
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