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सांगरी के पोषण मूल्य और प्रसंस्करण पर किसानों को किया जागरुक

कृषि विज्ञान केन्द्र में सात दिवसीय कौशल प्रशिक्षण आयोजित हुआ, जिसमें किसानों को देशी खेजड़ी पर थार शोभा खेजड़ी की ग्राफ्टिंग, पौध नर्सरी और कम्पोस्ट खाद निर्माण का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।

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कृषि विज्ञान केन्द्र में सात दिवसीय कौशल प्रशिक्षण आयोजित हुआ, जिसमें किसानों को देशी खेजड़ी पर थार शोभा खेजड़ी की ग्राफ्टिंग, पौध नर्सरी और कम्पोस्ट खाद निर्माण का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। थार शोभा खेजड़ी की उन्नत प्रजाति है, जो शुष्क और बारानी इलाकों में खेती के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. दीपक चतुर्वेदी ने खेजड़ी की उन्नत किस्म थार शोभा के साथ खजूर, बेर, अंजीर, अनार, नींबू और करोंदा जैसे पौधों की जलवायु अनुकूलता पर चर्चा की। उन्होंने किसानों को बागवानी को कृषि सह व्यवसाय के रूप में अपनाकर अधिक लाभ कमाने के लिए प्रेरित किया। डॉ. प्रतापसिंह कुशवाहा ने खजूर की बागवानी, पौध चयन और रखरखाव पर विस्तृत जानकारी दी। काजरी क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान के कृषि वानिकी वैज्ञानिक डॉ शिरान ने खेजड़ी में ग्राफ्टिंग तकनीक, खाद, उर्वरक प्रबंधन और रोग-कीट नियंत्रण पर मार्गदर्शन दिया।

बीकानेर के केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान से डॉ दीपक सरोलिया ने विभिन्न पौधों में बडिंग और ग्राफ्टिंग की विधियां समझाते हुए बताया कि इसे खेजड़ी, बेर और अंजीर जैसे पौधों में कैसे अपनाया जा सकता है। प्रगतिशील किसान रामेश्वरलाल खीचड़ ने 30 से अधिक किसानों को खेजड़ी और बोरड़ी पर ग्राफ्टिंग की विधि सिखाई। उन्होंने कहा कि नर्सरी से कलमी पौधे महंगे मिलते हैं और तीन वर्ष तक देखभाल करनी पड़ती है, जबकि किसान अपने खेत में बीज लगाकर एक वर्ष बाद थार शोभा और ताइवानी बेर की स्किन ग्राफ्टिंग करें तो अगली ही सीजन से सांगरी और बेर का उत्पादन संभव है। यह तकनीक सूखे इलाकों के किसानों के लिए बिना पानी के अतिरिक्त आय का बड़ा स्रोत बन सकती है।

दिया प्रशिक्षणनवसारी कृषि विश्वविद्यालय गुजरात के उद्यानिकी विशेषज्ञ डॉ देवेंद्र शर्मा ने पौध नर्सरी तैयार करने, किचन और टेरेस गार्डनिंग तथा कम्पोस्टिंग पर प्रशिक्षण दिया। गृह वैज्ञानिक डॉ चारू शर्मा ने सांगरी के पोषण मूल्य पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सांगरी में प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, फाइबर, आयरन और जिंक की भरपूर मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।

प्रशिक्षण में रामगढ़, मोहनगढ़, फतेहगढ़, रासला, भागु का गांव और चांधन सहित दूरस्थ क्षेत्रों के किसान शामिल हुए और ग्राफ्टिंग तकनीक के व्यावहारिक अभ्यास में भागीदारी निभाई।