उखड़ती सांसों से गहराया कोरोना का डर, जैसलमेर में बढ़ा फेफड़ों का संक्रमण
जैसलमेरPublished: Sep 25, 2020 09:27:05 am
-चिकित्सा विभाग आंकड़े छुपाने में जुटा
उखड़ती सांसों से गहराया कोरोना का डर, जैसलमेर में बढ़ा फेफड़ों का संक्रमण
जैसलमेर. सीमांत जैसलमेर जिले में लम्बे अर्से तक नियंत्रण में रहने के बाद कोरोना की स्थितियां अब बेकाबू होने की ओर है। संक्रमितों का आंकड़ा साढ़े आठ सौ को पार कर चुका है और रोजाना सैकड़ों लोग सैम्पलिंग के लिए पहुंच रहे हैं। इस बीच पिछले कुछ दिनों के दौरान फेफड़ों के संक्रमित हो जाने के चलते जैसलमेर में लगातार हो रही मौतों से दहशत गहरा गई है। फेफड़ों में संक्रमण के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ आने की शिकायतें एकदम से बढ़ गई है। इससे लोग बेहद घबरा गए हैं तो चिकित्सकों के भी हाथ-पांव फूल गए हैं। चिकित्सा विभाग भले ही कोरोना से 10 मौतें स्वीकार कर रहा हो लेकिन जानकारों कीम मानें तो आंकड़ा इससे ज्यादा हो सकता है। लोगों में बढ़ती दहशत का ही नतीजा है कि अब वे आगे बढ़कर कोविड.19 की जांच करवाने पहुंच रहे हैं।
फेफड़ों पर संकट
चिकित्सक अब तक रोगियों के बुखारए सर्दी-जुकाम जैसे कोविड.19 के सामान्य लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करते रहे हैं, लेकिन विगत दिनों के दौरान इनसे आगे के लक्षण फेफड़ों के संक्रमण तक पहुंच गए हैं। ऐसे में चिकित्सक अब मरीजों को फेफड़ों का एक्स-रे और सिटी स्केन करवाने की सलाह दे रहे हैं। जिससे वास्तविकता सामने भी आ रही है। ऐसे मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी है। जो चिकित्सक महज 8-10 दिन पहले तक मरीजों के लक्षणों का उपचार करते हुए उन्हें कोरोना की जांच तुरंत करवाने के लिए नहीं कह रहे थे, वे भी अब मामले की नजाकत समझते हुए कोविड.19 की जांच करने का परामर्श पर्ची में लिखने लगे हैं।
जैसलमेर में उपचार नहीं
जैसलमेर का यह दुर्भाग्य ही है कि यहां फेफड़ों का संक्रमण बढऩे के बाद मरीजों के उपचार की कोई व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है। जवाहर चिकित्सालय में चिकित्सकों व तकनीकी स्टाफ की कमी के कारण लगाए गए वेंटीलेटर्स सजावटी सामान बने हुए हैं। अस्पताल में लगातार काम करने से स्वयं चिकित्सक व अन्य तकनीकी स्टाफ सदस्य भी बीमार पडऩे लगे हैं। कोविड के मरीजों को यहां से जोधपुर रैफर किया जा रहा है, लेकिन वहां भी उन्हें अस्पतालों में आसानी से जगह नहीं मिलती। मुश्किल से जगह मिलने पर हजारों-लाखों रुपए का खर्च आ रहा है। जो हर किसी के बूते की बात नहीं है। जैसलमेर के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में माकूल चिकित्सा बंदोबस्त नहीं होने से गुस्सा बढ़ रहा है।
आंकड़े क्यों छिपा रहा विभाग ?
कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर चिकित्सा विभाग आंकड़े छुपाने की भरसक कोशिश कर रहा है। इससे अफवाहों को बल मिलने लगा है। जैसलमेर में लम्बे अर्से बाद भी कोरोना जांच की सुविधा नहीं मिलने से जांच रिपोर्ट मिलने में दो से तीन दिन लग रहे हैं। इनमें भी नेगेटिव मरीजों को जांच नतीजे प्राप्त नहीं हो रहे। वे संशय व असमंजस में झूलते रहते हैं। कई मरीजों की जैसलमेर में कोविड जांच नेगेटिव आने के बाद जोधपुर में दुबारा सैम्पलिंग में वे पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इसके अलावा ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें कोरोना पॉजिटिव उपचार के बाद पुन: जांच में नेगेटिव आ गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बनी हुई हैं।