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गांवों के चुनाव की पहली बार शहर में इतनी गूंज

locationजैसलमेरPublished: Nov 28, 2020 01:05:23 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

– ग्रामीणों का मन टटोल रहे लोग- सोशल मीडिया बना अखाड़ा

गांवों के चुनाव की पहली बार शहर में इतनी गूंज

गांवों के चुनाव की पहली बार शहर में इतनी गूंज

जैसलमेर. पंचायतीराज चुनाव के दो चरण निपट चुके हैं और इतने ही बाकी हैं। विशुद्ध रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे इन चुनावों की पहली बार इतने बड़े पैमाने पर जिला मुख्यालय पर चर्चा है। जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में कई जिला परिषद व पंचायत समिति वार्डों में कांग्रेस के दो गुटों और भाजपा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष होने से शहरी क्षेत्र में राजनीतिक कार्यकर्ताओं से लेकर आमजन के बीच ये चुनाव गहरी दिलचस्पी जगा चुके हैं। हर पांच साल में होने वाले पंचायतीराज चुनाव की धमक इस बार विधानसभा चुनाव से कम नहीं है।
हर कहीं चर्चा का मुद्दा
जैसलमेर मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट परिसर से लेकर प्रमुख चैक-चैराहों व गली-कूचों में जहां भी चार व्यक्ति जुटते हैं, उनके बीच जिला परिषद व समिति वार्डों के चुनावों को लेकर चर्चा का दौर चलता नजर आ रहा है। सबसे ज्यादा चर्चाएं वार्ड सं. 11 जहां से कांग्रेस के अब्दुल्ला फकीर व भाजपा समर्थित निर्दलीय सरवर खां के चुनाव को लेकर सुनी जा रही है। इसी तरह से सम समिति के वार्ड नं. 7 जहां कांग्रेस के जानब खां के सामने अमरदीन फकीर निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं, को लेकर लोगों में जिज्ञासा दिखाई देती है। जिला परिषद के वार्ड नं. 3 में कांगे्रस की अंजना मेघवाल व फकीर परिवार समर्थित निर्दलीय सहजो के चुनाव पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं।
पोस्ट दर पोस्ट
शहरी क्षेत्र में कांग्रेस के कार्यकर्ता साफ तौर पर दो फाड़ हैं। उनके बीच की लड़ाई सोशल मीडिया पर सार्वजनिक है। एक तरफ केबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद और फकीर परिवार के समर्थक हैं दूसरी ओर विधायक रूपाराम मेघवाल के। वे अपने-अपने नेताओं के चुनावी भाषण के वीडियो, फोटोग्राफ्स की पोस्टें दिनभर वायरल कर रहे हैं। वहीं भाजपा कार्यकर्ता इन चुनावों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा दिखाने से नहीं चूक रहे। वैसे स्वामी प्रतापपुरी इस चुनाव में पार्टी के पोस्टर बॉय बनकर उभरे हैं। सोशल मीडिया शहरवासियों को गांवों की चुनावी हवा से वाकिफ करने का बड़ा साधन बनकर उभरा है। इसमें कई बार आपत्तिजनक सामग्री भी देखने को मिल रही है। लोग अलग-अलग क्षेत्र से शहर आने वाले ग्रामीणों से उनके इलाके के चुनावी हालचाल जाने बिना नहीं रहते। उनसे मिलने वाले फीडबैक के आधार पर चुनावी गणित भी खूब लगाई जा रही है। वैसे ग्रामीण खुलकर अपनी पसंद बताते हुए कतराते हैं।
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