
भारतीय सेना की भविष्य में कमान संभालने वाले अधिकारियों ने सीमावर्ती जैसलमेर जिले में सरहदी क्षेत्रों का दौरा कर जमीनी हालात की जानकारी ली। सिकंदराबाद स्थित कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट के अधिकारियों ने जैसलमेर के साथ ही जोधपुर का भी दौरा किया। हायर डिफेंस मैनेजमेंट कोर्स-21 के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे अधिकारियों ने सैन्य तैयारियों और भविष्य के लिए चुनौतियों के बारे में जाककारी हासिल की। उन्हें रेगिस्तानी इलाकों में सेना की कार्यप्रणाली और रसद आपूर्ति की जटिलताओं के बारे में बताया गया। गत अर्से भारतीय सैन्य बलों की ओर से चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन के खिलाफ काम में ली गई रणनीतियों को उन्होंने समझा।
जैसलमेर स्थित बैटल एक्स डिविजन और सीमा से लगते क्षेत्रों के दौरे में सैन्य अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा की रणनीतिक अनिवार्यताओं और परिचालन गतिशीलता के बारे में ब्रीफिंग दी गई। अधिकारियों ने रेगिस्तान के खुले और चुनौतीपूर्ण भू-भाग में दुश्मन की किसी भी चाल को नाकाम करने के लिए सेना की ओर से अपनाई जाने वाली रणनीतियों को जाना। उन्होंने लोंगेवाला युद्ध क्षेत्र का दौरा किया, जहां 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की पूरी टैंक बटालियन को थलसेना और वायुसेना ने साझा तौर पर नेस्तनाबूद कर दिया था। सैन्य अधिकारियों ने लोंगेवाला की सरजमीं पर पहुंच कर दशकों पुरानी गौरवपूर्ण विजय को याद किया। बताया जाता है कि यह दौरा भविष्य के सैन्य कमांडरों को दूरदर्शिता और विवेक के साथ तैयार करने की एक प्रक्रिया थी, जिससे वे आने वाले समय में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सक्षम हो सके।
Published on:
22 Nov 2025 08:39 pm
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