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लौद्रवा में हिंगलाज महोत्सव: आस्था, संस्कृति और समाज सेवा का संगम

लौद्रवा स्थित मां हिंगलाज मंदिर प्रांगण में खत्री समाज का हिंगलाज महोत्सव इस वर्ष आस्था, संस्कृति और सेवा का अद्भुत संगम बनकर सामने आया।

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लौद्रवा स्थित मां हिंगलाज मंदिर प्रांगण में खत्री समाज का हिंगलाज महोत्सव इस वर्ष आस्था, संस्कृति और सेवा का अद्भुत संगम बनकर सामने आया। यह महोत्सव त्रयोदशी के दिन देशभर से समाजबंधुओं को एकजुट करता है। इस बार भी विभिन्न प्रदेशों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। समाज प्रचार-प्रसार मंत्री जितेन्द्र बिछड़ा ने बताया कि हिंगलाज महोत्सव केवल मां हिंगलाज की आराधना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज संगम का स्वरूप ले चुका है। भोजन, भजन, प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सामाजिक प्रोत्साहन और विकास की रूपरेखा इस आयोजन के मुख्य आयाम रहे।

खेलों में उमड़ा उत्साह

सायं चार बजे से रस्साकशी, सूई-धागा, बंटा दौड़, बूट-मौजा और म्यूजिकल चेयर जैसी प्रतियोगिताओं में बच्चों, युवाओं और महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इन खेलों ने स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और सहयोग की भावना को प्रबल किया। प्रतियोगिताओं के बाद मंदिर पुजारी ललित सेवक के नेतृत्व में मां हिंगलाज की पूजा और सामूहिक आरती हुई। आरती के दौरान वातावरण भक्ति और ऊर्जा से गूंज उठा। इसके बाद सामूहिक गोठ में प्रसाद ग्रहण किया गया। मुख्य कार्यक्रम में अखिल भारतीय खत्री महासभा अध्यक्ष जेठानंद बिछड़ा, मुख्य अतिथि महेश भूत, हिम्मतनगर समाज अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत्त न्यायाधीश हरिवल्लभ बिछड़ा सहित गणमान्यजनों का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहन पुरस्कार और प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया।

सांस्कृतिक संध्या और व्यवस्थाएं

रात्रिकालीन सांस्कृतिक संध्या में एकता मंडल की बालिकाओं की ओर से प्रस्तुत नृत्य और गीतों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संपूर्ण व्यवस्थाएं हिंगलाज मंडल, महिला मंडल और एकता मंडल ने समर्पण के साथ संभाली। आयोजन को सफल बनाने में सभी कार्यकर्ताओं की मेहनत झलकी।

समाज की एकजुटता का संकल्प

कार्यक्रम के दौरान समाजबंधुओं ने विचार साझा करते हुए एकजुटता और सेवा कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। समाज अध्यक्ष सत्यनारायण दड़ा ने सभी का आभार व्यक्त कर युवाओं के सशक्तिकरण और समाज के सर्वांगीण विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में मां हिंगलाज की मंगला आरती के साथ महोत्सव का समापन हुआ। श्रद्धा और समाज सेवा से परिपूर्ण यह आयोजन समाज की सांस्कृतिक धरोहर और उज्ज्वल भविष्य की कामना के रूप में यादगार बना।