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‘चालू सत्र में नहीं खुला स्कूल तो बालिकाओं के साथ मिलकर करुंगी आंदोलन’

-अमरसागर ग्राम पंचायत की महिला सरपंच की मुहिम-पंचायत मुख्यालय पर आकर मंत्री-अधिकारी दे चुके आश्वासन, नही हुई कवायद

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'चालू सत्र में नहीं खुला स्कूल तो बालिकाओं के साथ मिलकर करुंगी आंदोलन'

'चालू सत्र में नहीं खुला स्कूल तो बालिकाओं के साथ मिलकर करुंगी आंदोलन'

जैसलमेर. जिले की अमरसागर ग्राम पंचायत की सरपंच पूनम परिहार की ओर से इन दिनों ग्राम पंचायत मुख्यालय पर बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उच्च माध्यमिक विद्यालय खुलवाने की मुहिम चलाई जा रही है। गत दिनों प्रदेश के मंत्री व आला अधिकारियों के पंचायत मुख्यालय पहुंचने व आश्वासनों के बावजूद अब तक कवायद होते नहीं देख सरपंच पूनम मेघराज परिहार ने ग्रामीण बालिकाओं के साथ सामाािजक आंदोलन का सहारा लेने की बात कही है। राजस्थान पत्रिका से बातचीत में उन्होंने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए संकल्प जताने के साथ शासन-प्रशासन के रवैये पर निराशा भी जताई। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना विकास और संस्कार की कल्पना बेमानी है। सभी पंचायत मुख्यालयों पर उच्च माध्यमिक विद्यालय खोलना सरकार का संकल्प है तो अमरसागर ग्राम पंचायत अब तक वंचित क्यों है? उन्होंने कहा कि चालू सत्र में अमरसागर मुख्यालय पर उच्च माध्यमिक विद्यालय नहीं खुला तो बालिकाओं के साथ मिलकर सामाजिक आंदोलन का सहारा लेगी। उन्होंने कहा कि 21वीं शताब्दी में यदि जिला मुख्यालय से बमुश्किल 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव में उच्च माध्यमिक विद्यालय नहीं खुलता है तो सरकार की मंशा पर सवालिया निशान खड़े हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चियां पढना चाहती है। बच्चियों का पढऩे का मन है, लेकिन पढ़ाएं कैसे? सबसे नजदीक पंचायत अमरसागर में बच्चियां उच्च शिक्षा से वंचित है। आठवीं तक स्कूल है, वह भी संस्कृत है। आठवीं के बाद बच्चियां छोडऩे को मजबूर है।

शासन-प्रशासन को होना पड़ा था शमर्सार
गौरतलब है कि गत 8 अगस्त को जिले के जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक तंत्र को उस समय शर्मसार होना पड़ा था, जब जैसलमेर शहर से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमरसागर ग्राम पंचायत में महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने एक कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं से पूछा था कि हाथ खड़े करो कि कितनी दसवीं पढ़ी है? इस पर कई महिलाएं एक साथ तपाक से बोलीं, दसवीं तक की स्कूल ही नहीं है। कैसे पढ़ें और बेटियों को कहा पढाएं?

यह है हकीकत
अमरसागर पंचायत जिले की वीआइपी पंचायतों में शुमार है। शहरी सीमा से महज पांच किलोमीटर की दूरी होने के साथ-साथ यहां के कलात्मक जैन मंदिर, प्राचीन तालाब और अन्य थातियां गर्व करने लायक है। जिला मुख्यालय के सबसे निकट होने के बावजूद शिक्षा के क्षेत्र में अमरसागर ग्राम पंचायत पिछाड़ी बनी हुई है। यहां केवल एक आठवीं तक का राजकीय विद्यालय है और वह भी संस्कृत स्कूल। आठवीं के बाद लड़के तो किसी तरह शहर पहुंचकर आगे की पढ़ाई कर लेते हैं, लेकिन अधिकांश लड़कियां पढ़ाई छोडऩे को मजबूर हो जाती हैं। समाजसेवी मेघराज परिहार बताते हैं कि ग्रामीण बच्चियों को पढ़ाकर आगे बढ़ते देखना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक व सुरक्षा कारणों से बच्चियों को शहर भेजकर पढ़ाने में असमर्थ हैं।