11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जैसलमेर: कलक्टर और उपखंड अधिकारियों को लगाया प्रशासक, प्रमुख और सभी प्रधानों का कार्यकाल पूरा

जैसलमेर में पंचायतीराज संस्थाओं की कमान अब अफसरों के हाथ में आ गई है। जिला प्रमुख और सभी प्रधानों का कार्यकाल पूरा होने पर कलक्टर, एसडीएम सहित प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया गया है। नई टीम ग्रामीण विकास व प्रशासनिक कार्य संभालेगी।

less than 1 minute read
Google source verification
Jaisalmer Collector and Sub-Divisional Officers have been appointed as administrators

जिला परिषद कार्यालय भवन, जैसलमेर (फोटो- पत्रिका)

जैसलमेर: सीमावर्ती जैसलमेर जिले में पंचायतीराज व्यवस्था की उच्च स्तरीय कमान अब पूरी तरह से सरकारी अधिकारियों के हाथों में आ गई है। राज्य सरकार की ओर से गत दिनों लिए गए फैसले के अनुसार, 11 दिसंबर से पंचायत समिति प्रधान की जगह उपखंड अधिकारी प्रशासक की भूमिका में होंगे। वहीं, कलक्टर जिला परिषद के प्रशासक पद पर काबिज होंगे।

जैसलमेर जिले में कुल सात पंचायत समितियां हैं। जिला कलक्टर प्रताप सिंह ने इस संबंध में जारी किए गए आदेश में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पंचायत समिति जैसलमेर, मोहनगढ़ और सम में उपखंड अधिकारी जैसलमेर को प्रशासक, फतेहगढ़ में फतेहगढ़ उपखंड अधिकारी, नाचना और सांकड़ा में उपखंड अधिकारी पोकरण और भणियाणा पंचायत समिति में भणियाणा उपखंड अधिकारी को प्रशासक नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रशासक की कार्यावधि नवनिर्वाचन के बाद गठित पंचायत समिति की प्रथम बैठक की तारीख के ठीक पहले दिन तक रहेगी।

नहीं मानी गई मांग

गौरतलब है कि प्रदेश भर में पंचायत समिति में प्रधानों और जिला परिषद में जिला प्रमुख का कार्यकाल खत्म होता जा रहा है। कार्यकाल पूरा होने के बाद यहां प्रशासकों की नियुक्ति हो रही है। जहां ग्राम पंचायत में कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने वहां मौजूदा सरपंच को ही प्रशासक के तौर पर लगा दिया था, लेकिन पंचायत समितियों में ऐसा नहीं किया गया है।

सरकार ने प्रधान की जगह उपखंड अधिकारी को प्रशासक के तौर पर लगाने का फैसला किया है। वहीं जिला प्रमुख की जगह जिला कलक्टर को प्रशासक बनाने का निर्णय लिया। जबकि सरपंचों की तर्ज पर ही प्रधान कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इसे लेकर प्रधानों ने राज्य सरकार तक अपनी मांग को पहुंचाया था, लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गई।