
जर्जर कुंड (फोटो- पत्रिका)
बाड़मेर: भारत-पाक सीमा के आखिरी छोर पर बसे रोहिड़ी गांव में इस सर्दी ने राहत नहीं, बल्कि और गहरी व्यथा दी है। तापमान गिरते ही पानी की समस्या कम होने के बजाय और गंभीर हो गई है।
बता दें कि गांव में पिछले छह महीनों से दोनों सरकारी ट्यूबवेल खराब पड़े हैं। लेकिन विभागीय तंत्र को इसका पता तक नहीं। इससे गांव में पेयजल आपूर्ति पूरी तरह ठप हो चुकी है और हालात बिगड़ चुके हैं कि करीब एक हजार गोवंश तक प्यासा भटक रहा है।
सरकार की हर घर नल योजना ग्रामीणों के लिए अब व्यंग्य बन चुकी है। नलों में पानी महीने में मुश्किल से दो-तीन बार आता है। कई घरों में पिछले पखवाड़ेभर से एक बूंद पानी नहीं पहुंचा। योजनाओं के दावों और जमीनी स्थिति के बीच गहरी खाई साफ दिखती है।
हाइवे किनारे स्थित मुख्य ट्यूबवेल दो महीने से बंद है। उससे जुड़ा गोकुंड भी क्षतिग्रस्त है, जिसके कारण पशुधन के लिए बनाए गए इस जलस्रोत का उपयोग पूरी तरह रुक गया है। निजी कंपनी के सीएसआर फंड से बना दूसरा ट्यूबवेल, जो वर्तमान में पीएचईडी के अधीन है, वह भी खराब है। नतीजा सरकारी स्रोतों से पानी की आपूर्ति शून्य।
धोरे की ढलान पर स्थित पारंपरिक बेरियों का सहारा भी अब खत्म हो रहा है। बेरियां जर्जर हो गई हैं, सफाई व मरम्मत कार्य अधर में है और पानी तक पहुंचना भी जोखिम भरा हो गया है। महिलाओं और बच्चों को रेतीले ढोरों में गहरी बेरियों से पानी निकालने में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।
रोहिड़ी गांव में इंसानों से ज्यादा पशुधन हैं और आजीविका का मूल आधार यही है। लेकिन पानी की किल्लत ने पशुपालकों को सबसे बड़ी चिंता दे दी है। हजार से अधिक गोवंश बिना पानी तड़प रहा है, जिससे बीमारी और मौत का खतरा बढ़ गया है। गांव में जहां रोजाना सैकड़ों लीटर पानी पशुधन को चाहिए होता है, वहां अब एक बाल्टी पानी का भी संकट खड़ा है।
रोहिड़ी गांव में दो ट्यूबवेल हैं, लेकिन दोनों ही बंद पड़े हैं। पीएचईडी अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, पर कोई जवाब नहीं मिलता। हर घर नल योजना के तहत पानी का सपना अभी अधूरा है।
-गिरधर सिंह रोहिड़ी, पूर्व सरपंच
Updated on:
11 Dec 2025 10:02 am
Published on:
11 Dec 2025 09:59 am
बड़ी खबरें
View Allबाड़मेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
