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मानसून की दस्तक के बीच भी ‘स्वर्णनगरी’ में नहीं हो रही नालों की सफाई, साल 2006 में बने थे बाढ़ जैसे हालात

Jaisalmer: राजस्थान के जैसलमेर जिले में हर साल बरसात के दरमियान जलभराव की समस्या बन जाती है। खतरा इस बात का बना रहता है कि जलभराव से कहीं शहर न डूब जाए। लोग जान जोखिम में डालकर आते-जाते हैं।

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Jaisalmer waterlogging problem

नालों की नहीं हो रही सफाई (फोटो पत्रिका नेटवर्क)

Jaisalmer News: जून का पहला सप्ताह समाप्त होने वाला है और आने वाले समय में मानसून काल आने वाला है। इससे पहले जैसलमेर शहर की जल निकासी व्यवस्था को लेकर चिंता होना लाजमी है। यहां कई बड़े नाले और सीवरेज लाइनों के मेन हॉल बरसाती पानी की आवक होने से उफनते नजर आते हैं। देखते ही देखते आसपास के क्षेत्रों में इतना जलभराव हो जाता है।


मानसून से पहले नाले-नालियों की संपूर्ण साफ-सफाई करवाना नगर परिषद की पहली जिम्मेदारी है, लेकिन उसके सफाई तंत्र में दिखावटीपन ज्यादा दिखता है। जो मुख्य रास्ते हर किसी को विशेषकर उच्चाधिकारियों तक को नजर आते हैं, केवल उन्हीं को चमकाकर रखने की कवायद देखने में आती है। शेष स्थानों को उनके भाग्य पर छोड़ रखा है।


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गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान जैसलमेर में मानसून और उसके बाद भी अच्छी मात्रा में बरसाती पानी गिरने लगा है। यही कारण है कि कुछ साल पहले जैसलमेर का वार्षिक वर्षा औसत 165 एमएम था, वह बढ़कर करीब 230 एमएम तक हो गया है।


वर्षों से नाले के नारकीय हालात


जैसलमेर की सबसे बड़ी आवासीय गांधी कॉलोनी में आदर्श विद्या मंदिर के आगे से लेकर आईटीआई तक नाले की दशा पिछले एक दशक से भी लंबे समय से पूरी तरह से नारकीय ही बनी हुई है। यह नाला देखभाल के अभाव में जर्जर हो चुका है और इसमें कीचड़ और अन्य अपशिष्ट सामग्री इतनी भरी रहती है कि उसकी दुर्गंध से पूरा इलाका गंधाता रहता है।


साल 2006 में बने थे बाढ़ जैसे हालात

जैसलमेर शहर में साल 2006 में मूसलाधार बारिश के बाद कई निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे। जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण गड़ीसर सरोवर और उससे लगते क्षेत्रों में घरों व सरकारी कार्यालयों तक में पानी भर गया था। यहां तक कि लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए नावें तक चलानी पड़ी थी। उसके बाद भी जब-जब मूसलाधार बारिश आती है, निचले क्षेत्रों में बसी बस्तियों में पानी भर जाता है। निकासी के अभाव में बरसाती पानी कई-कई दिनों तक भरा रहता है। कई घरों और दुकानों आदि को इस भरे हुए पानी के कारण खतरा भी रहता है।


क्या कहना है लोगों का


स्थानीय निवासियों के अनुसार, यहां 10 से 15 दिन में एक बार साफ-सफाई कर कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है। वापस उसी तरह के हालात बन जाते हैं। नालों के ऊपरी हिस्से में पत्थर और गंदगी के लगे ढेर लगे हुए हैं। इसके अलावा नाले के ऊपर पत्थर की पट्टियां भी नहीं लगी हैं और वह खुला रह कर हादसों को न्योता भी दे रहा है।


गांधी कॉलोनी क्षेत्र में नाला पूरी तरह से गंदगी से अटा पड़ा है और यह सड़ांध मारता रहता है। नगर परिषद की तरफ से अनदेखी बरती जा रही है। इस नाले के कारण क्षेत्र में बदबू और मच्छर फैले रहते हैं।
-राजेंद्र कुमार, स्थानीय निवासी


स्वर्णनगरी में जल निकासी की सुव्यवस्थित व्यवस्था आज तक नहीं हो पाई है। मानसून काल में बारिश के दौरान यह समस्या एकदम से सिर उठाती है। समय रहते प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
-देरावर सिंह, स्थानीय निवासी