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ऐसे ही आगे नहीं बढ़ेगा जैसलमेरी पत्थर…कई रियायतों और प्रोत्साहन की दरकार

राज्य सरकार की पंच गौरव योजना के तहत जैसलमेर जिले के सोने-से चमकने वाले पीले पत्थर को एक जिला एक उत्पाद के रूप में शामिल किया गया है।

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राज्य सरकार की पंच गौरव योजना के तहत जैसलमेर जिले के सोने-से चमकने वाले पीले पत्थर को एक जिला एक उत्पाद के रूप में शामिल किया गया है। मौजूदा समय में यह पीला पत्थर कम से कम 30 हजार लोगों को प्रत्यक्ष-परोक्ष रोजगार उपलब्ध करवाता है तो इसका टर्नओवर करीब 300 करोड़ रुपए तक है। यहां तक आकर जैसलमेरी पत्थर की प्रगति थम-सी गई है। जानकारों की मानें तो इस पत्थर को कोटा स्टोन, सफेद संगमरमर, भीलवाड़ा स्टोन आदि की भांति उद्योग क्षेत्र में आगे बढ़ाना है तो इसके लिए राजस्थान सरकार को कई रियायतें और प्रोत्साहन की नीतियों को अमलीजामा पहनाना होगा। जैसलमेरी पत्थर उद्योग से जुड़े लोग लम्बे अर्से से इस बारे में गुहार लगा रहे हैं लेकिन अभी तक सरकार ठोस कदम नहीं उठा सकी है। गौरतलब है कि जिले में निकलने वाले पत्थर पर वर्तमान में जीएसटी की 3 स्लेब 5, 12 और 18 प्रतिशत लागू है। यह ब्लॉक, कटिंग और पॉलिशसुदा पत्थर पर अलग-अलग लगती है। इससे यहां का पत्थर बड़े पैमाने पर बिकने वाले अन्य क्षेत्रों व गुणवत्ता वाले पत्थरों का मुकाबला नहीं कर पा रहा है। अगर सरकार जैसलमेरी पत्थर पर केवल 5 प्रतिशत की न्यूनतम जीएसटी ही लागू कर दे तो उसके खजाने पर तो नाममात्र की कमी आएगी लेकिन यहां का पीला पत्थर उद्योग और चमकने लगेगा। अभी तो यहां के नाजुक मिजाज पत्थर को जीएसटी दरों के मामले में सफेद मार्बल या कोटा स्टोन जैसे हर लिहाज से मजबूत पत्थरों से प्रतियोगिता करनी पड़ रही है।

नए औद्योगिक क्षेत्र की जरूरत

  • जैसलमेर में वर्तमान में 3 औद्योगिक क्षेत्र हैं। जिनमें मुख्य रीको क्षेत्र, किसनघाट और शिल्पग्राम औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं। आज भी अनेक उद्योगों के लिए जमीन की कमी है।
  • बाड़मेर मार्ग जैसे राजमार्ग या किसी और मुख्य मार्ग पर नया बड़ा औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाए तो जिले के अन्य उद्योगों के साथ पत्थर उद्योग को इसका सीधा लाभ मिल सकेगा। बाड़मेर जिले में रिफाइनरी का काम जल्द पूरा होने वाला है।
  • जैसलमेर पत्थर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने की जरूरत है। अभी तक इसके सैंपल आर्किटेक्चर और इंटीरियर डिजाइन के विद्यार्थियों के लिए सभी तकनीकी विवरणों के साथ उपलब्ध नहीं हैं।
  • सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए भारत और विदेशों के प्रमुख आर्किटेक्चर कॉलेजों और संस्थानों में विशेष रूप से इसके सैंपल भेजने चाहिए। इससे छात्र इसकी मजबूती, जलवायु अनुकूलता, भार क्षमता और नक्काशी की खासियतों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
  • इसके पूरा होने के बाद कई बाय प्रोडक्ट बनाने के लिए उद्योग स्थापित होंगे। उनमें कुछ उद्योग तो 100 या उससे अधिक दूरी पर लगाए जाएंगे। जैसलमेर में नया औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हो तो ऐसे उद्योग यहां भी स्थापित होने की उम्मीद है।
  • जैसलमेर में साल 2011 के बाद से पत्थर खनन के लिए नए माइन्स आवंटित नहीं की गई हैं। उसके बाद जब भी संबंधित महकमे ने नीलामी प्रक्रिया करनी चाही, उसकी प्रीमियम राशि बहुत अधिक होने से उद्यमियों व व्यवसायियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।
  • पहले के वर्षों में यहां पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर माइन्स का आवंटन किया जाता था। जैसलमेर में पत्थर कम गहरे क्षेत्रों में मिलता है। ऐसे में सफेद मार्बल या अन्य पत्थर पर लागू नीति इस पत्थर पर ठीक नहीं बैठती।

खुले दिल से सहायता दे सरकार

जैसलमेरी पत्थर को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार को खुले दिल से मदद करनी होगी। यहां पर 4 हेक्टेयर की बजाए 1 हेक्टेयर की खानों का पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर आवंटन करना चाहिए। साथ ही पत्थर के आर्टिजन्स के ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना करने की भी बहुत बड़ी आवश्यकता है।

  • जुगल किशोर बोहरा, पत्थर व्यवसाय विशेषज्ञ

वैश्विक पहचान बने

अगर जैसलमेरी पत्थर के सेम्पलों को मेटेरियल लैब्स और रिसर्च सेंटर में उपलब्ध कराया जाए, तो इसके पारंपरिक और आधुनिक निर्माण में उपयोग की संभावनाएं बढ़ेंगी। इस पहल से जैसलमेर पत्थर की वैश्विक पहचान मजबूत होगी और इसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स में भी बढ़ेगा।

  • कपिल मेहरा, पत्थर व्यवसाय विशेषज्ञ

उठाने होंगे ठोस कदम

जैसलमेरी पत्थर व्यवसाय को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। यह पत्थर जैसलमेर की सबसे बड़ी पहचान है और इससे हजारों परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है। अब तक स्थानीय बाशिंदों के साथ पर्यटन व्यवसायियों ने जैसलमेरी पत्थर को सम्बल प्रदान किया है, अब आगे आगे सरकार को भूमिका निभानी होगी।

  • गिरिश व्यास, सचिव, जैसलमेर रीको इंडस्ट्रीज एसोसिएशन