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क्या है जैसलमेर का खेतसिंह हत्याकांड? मर्डर के बाद कैसे भड़की हिंसा? गांव में अभी भी पसरा सन्नाटा

Jaisalmer Khet Singh Murder Case: राजस्थान के जैसलमेर जिले के डांगरी गांव में हुए खेतसिंह हत्याकांड के बाद क्षेत्र में अभी भी सन्नाटा पसरा हुआ है।

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Jaisalmer Khet Singh Murder Case

फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Jaisalmer Khet Singh Murder Case: राजस्थान के जैसलमेर जिले के डांगरी गांव में हुए खेतसिंह हत्याकांड के बाद क्षेत्र में अभी भी सन्नाटा पसरा हुआ है। आम जन-जीवन अभी सामान्य नहीं हो पाया है। वहीं, जैसलमेर की इस घटना ने कानून-व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं, साथ ही प्रशासन की नाकामी और नेताओं की भड़काऊ भूमिका भी खुलकर सामने आई है।

दरअसल, दो दिन पहले खेतसिंह की हत्या के बाद भड़की हिंसा, आगजनी और पत्थरबाजी ने गांव को छावनी में तब्दील कर दिया और अब भी डांगरी में तनाव का सन्नाटा पसरा हुआ है।

खेतसिंह हत्याकांड- क्या-क्या हुआ?

बता दें, 2 सितंबर 2025 की रात जैसलमेर के फतेहगढ़ उपखंड के डांगरी गांव में 50 वर्षीय किसान खेतसिंह भाटी अपने खेत में सो रहे थे। बताया जाता है कि उन्होंने कुछ लोगों को हिरण का शिकार करने से रोका था, जिसके चलते रंजिश में बदमाशों ने उन पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। गंभीर रूप से घायल खेतसिंह पूरी रात खेत में पड़े रहे।

अगली सुबह, 3 सितंबर को आसपास के किसानों ने उन्हें देखा और फतेहगढ़ के सरकारी अस्पताल ले गए। वहां प्राथमिक उपचार के बाद उनकी गंभीर हालत को देखते हुए बाड़मेर रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

परिजनों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि खेतसिंह ने हिरण का शिकार रोकने की कोशिश की थी, जिसके कारण बदमाशों ने बदला लेते हुए उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। इस घटना के बाद गांव में आक्रोश की लहर दौड़ गई।

मर्डर के बाद कैसे भड़की हिंसा?

बताते चलें कि खेतसिंह की हत्या की खबर फैलते ही डांगरी गांव में तनाव का महौल बन गया। 3 सितंबर की शाम करीब 6 बजे आक्रोशित ग्रामीणों ने आरोपियों के परिवार से जुड़ी एक टायर-ट्यूब की दुकान में आग लगा दी, जो पास की 3-4 अन्य केबिन नुमा दुकानों और एक ट्रक तक फैल गई। इस हिंसा के बाद राजपूत और अन्य समुदायों के लोग सांगड़ पुलिस थाने के बाहर धरना-प्रदर्शन करने पहुंचे।

गुरुवार, 4 सितंबर को स्थिति और बिगड़ गई। सुबह 11 बजे से डांगरी में धरना-प्रदर्शन शुरू हुआ। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन को हत्यारों के खिलाफ कार्रवाई और अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए शाम 4 बजे तक का अल्टीमेटम दिया। तय समय पर मांगें न माने जाने पर भीड़ बेकाबू हो गई और गांव में घुसकर कुछ घरों और एक कार में आग लगा दी। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों पर पत्थरबाजी की, जिसमें दो पुलिसकर्मी, जिनमें एक महिला पुलिसकर्मी शामिल थी, घायल हो गए। पुलिस ने 26 प्रदर्शनकारियों को शांतिभंग के आरोप में हिरासत में लिया।

आरोपियों की दुकानों पर चला बुलडोजर

इधर, हिंसा और तनाव के बीच प्रशासन ने देर रात कार्रवाई शुरू की है। गुरुवार देर रात ग्रामीणों और प्रशासन के बीच वार्ता में सहमति बनी, जिसके बाद हत्याकांड के तीन मुख्य आरोपियों लाडू खान, आलम खान और खेते खान की पांच अवैध दुकानों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। इसके अलावा, इन लोगों द्वारा 150 बीघा सरकारी जमीन पर किए गए अतिक्रमण को भी हटाया गया, जिसमें तारबंदी को तोड़ा गया।

ग्रामीणों ने मांग की थी कि आरोपियों के अवैध अतिक्रमण के साथ-साथ गांव में अन्य अवैध निर्माण भी हटाए जाएं। इसके अलावा, खेतसिंह के परिवार के एक सदस्य को संविदा पर नौकरी और आर्थिक सहायता देने की मांग भी रखी गई। प्रशासन ने इन मांगों पर सहमति जताई, जिसके बाद ग्रामीणों ने धरना समाप्त किया। शुक्रवार सुबह करीब 7 बजे, खेतसिंह का शव डांगरी गांव लाया गया, जहां भारी पुलिस बल की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

सियासत का तूफान- बेनीवाल बनाम भाजपा

वहीं, इस हत्याकांड और उसके बाद की हिंसा ने सियासी रंग भी लिया। बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा के सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। बेनीवाल ने भाजपा नेता स्वरूप सिंह खारा का एक वीडियो शेयर करते हुए भीड़ को उकसाने और सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया।

उन्होंने एक वायरल वीडियो का जिक्र किया, जिसमें भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष स्वरूप सिंह खारा पुलिस की जीप और जेसीबी पर चढ़कर भीड़ को को कुछ कहते हुए दिखाई दे रहे हैं। बेनीवाल ने इसे कानून-व्यवस्था की नाकामी करार देते हुए कहा कि प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण स्थिति बिगड़ी।

बेनीवाल ने यह भी कहा कि जैसलमेर में पहले बासनपीर में भी इसी तरह की घटना हुई थी, जहां पत्थरबाजी हुई थी, लेकिन दोनों घटनाओं को अलग-अलग नजरिए से देखा जा रहा है। उन्होंने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिला कलेक्टर और पुलिस ने हालात बिगड़ने का इंतजार किया और समय पर धारा 163 लागू नहीं की, जिससे भीड़ को इकट्ठा होने का मौका मिला।

इससे पहले, भाजपा नेता स्वरूप सिंह खारा ने प्रशासन को चेतावनी दी थी कि अगर हत्यारों के अवैध निर्माण, जैसे मकान, ट्यूबवेल और एक धार्मिक स्थल को 4 बजे तक नहीं हटाया गया, तो वे स्वयं जेसीबी चलाकर इन्हें हटा देंगे। बताया जा रहा है कि उनके इस बयान के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया था।

कई नेताओं ने जताया आक्रोश

इस मामले में कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने डांगरी पहुंचकर खेतसिंह के परिजनों को सांत्वना दी और इशारों में कांग्रेस नेता हरीश चौधरी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपणायत का चोला पहनकर संवेदनाओं पर राजनीति कर रहे हैं। भाटी ने पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

पूर्व कैबिनेट मंत्री और मुस्लिम धर्मगुरु सालेह मोहम्मद ने कहा कि दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए, लेकिन निर्दोषों को परेशान करना उचित नहीं है। उन्होंने बाड़मेर के नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने और युवाओं को उकसाने का आरोप लगाया। साथ ही, उन्होंने प्रशासन की ढिलाई को हिंसा का कारण बताया।