
भारत ने 11 व 13 मई को पोकरण क्षेत्र के खेतोलाई गांव के पास पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में सिलसिलेवार पांच परमाणु परीक्षण किए। परमाणु परीक्षण स्थल खेतोलाई गांव से नजदीक था और उस समय घरों, भूमिगत टांकों आदि में भी सबसे ज्यादा नुकसान भी खेतोलाई के वाशिंदों ने झेला। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के निर्देशन में पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में 1998 में परमाणु परीक्षण किए गए थे। खेतोलाई के वाशिंदोंं को समस्याओं के समाधान का इंतजार बना हुआ है। परमाणु परीक्षण के बाद पोकरण का नाम विश्व मानचित्र के पटल पर गहरी स्याही से उकेरा गया, लेकिन जिस धरती ने इन परमाणु बमों के धमाकों को सहा, उस धरती को पहचान नहीं मिल पाई। खेतोलाई के ग्रामीण आज भी पोकरण के साथ खेतोलाई को नई पहचान दिलाने और यहां सुविधाओं के विस्तार की मांग करते नजर आ रहे है।
परमाणु परीक्षण के 27 वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद गांव में हालात आज भी जस के तस है। ग्रामीणों का कहना है कि परमाणु परीक्षण स्थल से सबसे नजदीक गांव खेतोलाई को देश के प्रधानमंत्री की ओर से गोद लेने की कई बार मांग की गई, लेकिन न तो ऐसा कभी केन्द्र सरकार ने सोचा है, न ही यहां सुविधाओं का विस्तार व विकास कार्य हुए है, जो खेतोलाई को परमाणु शक्ति स्थल की पहचान दिला सके। इसी तरह 11 मई को राष्ट्रीय गौरव दिवस घोषित कर केन्द्र सरकार की ओर से खेतोलाई गांव में राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम आयोजित कर परमाणु परीक्षण की प्रतिवर्ष वर्षगांठ मनाने व गांव में विशेष कार्यक्रम व समारोह का आयोजन करने की भी कई बार मांग की जा चुकी है, लेकिन उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
खेतोलाई गांव में कुछ वर्ष पूर्व राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना की गई थी, लेकिन यहां न तो पर्याप्त चिकित्सक है, न ही चिकित्साकर्मी। कर्मचारियों की कमी के कारण ग्रामीणों को उपचार के लिए आज भी पोकरण अथवा जोधपुर जाना पड़ रहा है। इसी तरह यहां पशु चिकित्सालय भी स्थित है, लेकिन चिकित्सक नहीं होने के कारण मवेशी का उपचार नहीं हो पाता है। पशुपालक चक्कर काटने को मजबूर है।
Published on:
11 May 2025 11:21 pm
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