हरियाली में झलक रही खुशहाली
इन दिनों मरु प्रदेश में हरियाली नजर आने लगी। वे दिन बीत गए जब जैसलमेर जिले में बाजरे व ग्वार की फसल को लोग तरसते थे। अब जल-धारा के चमत्कार से यहां के खेतों में जीरा, सरसों व मूंगफली जैसी फसलों का उत्पादन होने लगा है।तब और अब
-विषम भौगोलिक व पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण जैसलमेर की यह मरुधरा सदियों तक लक्ष्मी के आशीर्वाद से अछूती रही। -वर्षों से यहां के बाशिंदे पशुपालन आधारित अर्थव्यवस्था पर आश्रित रहे।-अकाल के पड़ाव के कारण कभी यहां के लोगों का जीवन स्तर नहीं सुधरा।
-आजादी के बाद पर्यटन के क्षेत्र में जैसलमेर की पहचान के कारण लोगों की जीवन दशा मे बदलाव शुरू हुआ। तब यह बदलाव भी शहरी क्षेत्र तक ही सीमित रहा।
-बारिश की कमी के कारण लोग अन्न व धन के लिए तरसते रहे।
-इन्दिरा गाधी नहर के आगमन से जहां नहरी क्ष् ोत्र की दशा बदलीए वही भू.जल की खोज ने जिले के बारानी क्षेत्र मे बदलाव लाना शुरू कर दिया।
-कुए खुदवाने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया गया। शुरुआत चांधन, राजमथाई व ओला क्षेत्र से हुई।
-समय के साथ भू.जल आधारित कृषि से समूचे जिले मे बदलाव आना शुरू हो गया।
बदला पर्यावरणीय परिदृश्य
नलकूप आधारित कृषि ने पूरे क्षेत्र का पर्यावरणीय परिदृश्य बदल दिया। मरुप्रदेश के बाशिंदों की आर्थिक दशा में भी बदलाव आया है।-डॉ. एनडी इणखिया, प्रभारी भू-जल वैज्ञानिक, जैसलमेर