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जैसलमेर. महाशिव रात्रि को महाकाल रात्रि माना जाता है और यही कारण है कि इस दिन मृत्यु के देवता की विशष पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में एक मात्र ऐसा पर्व है, जिस दिन रात को पूजा और आराधना की जाती है। महाकाल से जाने जाने वाले महादेव की पूजा व आराधना के लिए स्थानीय गडीसर सरोवर के दक्षिण’-पश्चिम तट पर स्थित मुक्तेश्वर महादेव मंदिर भक्तजनों के लिए आस्था का बडा केन्द्र है। करीब दो दशक पहले स्थापित इस मंदिर में यू ंतो प्रतिदिन शिव ? आराधना होती है और सैकडों लोग यहां पहुंचकर शिवलिंग की पूजा अर्चना करते है, लेकिन महाशिवरा़ित्र को यहां विशेष पूजन होता है। दिन में जहां शिवभक्त दिनभर कच्चा दूध, पानी धतूरा, आंक के सफेद फूल, भांग, बिल्वपत्र, शक्कर, घी, दही, शहद, अक्षत आदि से शिवाभिषेक कर मंगलकामना करते है। वहीं रात को वैदवेता वेदमंत्रों से रूद्राभिषेक कर शिव व शक्ति का अभिषेक किया जाता है।
यह है मान्यता
महाशिव रात्रि के लेकर अलग-अलग मान्यताएं है, लेकिन एक मान्यता सत्य है महाशिवरात्रि को पूरी रात शिव आराधना करने वाले भक्तजनों की भोले शंकर सभी मनोकामनाएं पूरी करते है। यही कारण है कि हजारों सालों से शिवरात्रि ? को महाकाल की पूजा अर्चना होती है।
यह होंगे विशेष कार्यक्रम
स्थानीय मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि को प्रतिसाल की भांति इस साल भी यहां विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। महाकाल की आराधना करने के लिए तैयारियां अभी शुरू कर दी गई है। मंदिर को सजावट करने व रंगरोगन करने का कार्य इन दिनों चल रहा हैं
Published on:
09 Feb 2018 08:46 am
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