जिम्मेदारों की अनदेखी और मॉनीटरिंग का अभाव किस तरह सार्वजनिक धन की बर्बादी का कारण बनता है, इसकी बानगी शहर में तीन जगहों पर लगाए गए हाइटेक कचरा पात्रों के रूप में देखने को मिल रही है। वर्ष 2022 में नगरपरिषद की तरफ से फिनलैंड की तर्ज पर जैसलमेर में 3 जगहों पर ये कचरा पात्र स्थापित किए गए थे। उसके बाद से उनका उपयोग न के बराबर हुआ और आज तो वे खुद कचरे में भर रहे हैं। उनका किसी तरह का उपयोग नहीं हो पा रहा है। ये कचरा पात्र अमर सागर प्रोल के बाहर महाराणा प्रताप मैदान के बाहर, चैनपुरा मोहल्ला और शिव मार्ग पर स्थापित किए गए थे। उनमें से प्रताप मैदान में वर्तमान में चल रहे पार्किंग कार्य के लिए लगाई गई आयरन की चारदीवारी के पीछे छिप गया है। उधर, चैनपुरा में पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है वहीं, शिव मार्ग वाले कचरा पात्र के आस-पास चार पहिया वाहनों का जमघट लगा रहता है।
स्वर्णनगरी को कचरा मुक्त शहरों की गिनती में शुमार करवाने के लिए कचरा संग्रहण करने के लिए फिनलैंड की तर्ज पर मॉडर्न तकनीक से तैयार कचरा पात्रों को पहले चरण में 45 लाख रुपए खर्च कर शहर के 3 स्थानों पर लगाया गया था।
-प्रत्येक कचरा पात्र की लागत 15 लाख रुपए थी। उस समय कहा गया था कि यदि प्रयोग सफल रहा तो शहर के अन्य स्थानों पर भी इन्हें लगवाया जाएगा।
ये कचरा पात्र देखने से लगता भी नहीं था कि ये कचरा संग्रहण के लिए लगे हैं। इसके चारों तरफ रेलिंग भी लगाई गई। कचरा पात्र की देखभाल और भरने के बाद खाली करने की जिम्मेदारी नगरपरिषद की तय की गई। इन कचरा पात्रों को मॉडर्न लुक देने के लिए स्टील की रेलिंग लगाकर बैठने के लिए चेयर भी लगाई गई। कहा गया कि लोग यहां आराम से बैठकर अखबार-मैगजीन आदि पढ़ सकते हैं या विश्राम कर सकते हैं। वर्तमान में ये पूरी तरह से धूल से भरे हैं। कचरा पात्र में कचरा संग्रहित करने के लिए नीचे एक मजबूत बैग व पानी के लिए एक टब लगा होगा। जिसमें कचरा के साथ आने वाला पानी अलग से निकालकर टब में भर जाए। लोगों को खुले में कचरा डालने की मानसिकता को बदलकर इन कचरापात्र में ही कचरा थैलियों में भरकर डालना था, लेकिन जब नगरपरिषद ने स्वयं ही इनके उपयोग की जहमत नहीं उठाई तो ये केवल फिजूलखर्ची ही साबित हुए हैं। इन कचरा पात्रों के आसपास कई बार कूड़ा करकट नजर आ जाता है।
Updated on:
17 Jun 2025 08:33 pm
Published on:
17 Jun 2025 11:30 pm