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सीमा पर खुलेंगे समृद्धि के नए द्वार:  बॉर्डर टूरिज्म से बढ़ सकेगा जैसलमेर का वैश्विक प्रभाव

जैसलमेर का पर्यटन अब जल्द ही इतिहास, रोमांच और राष्ट्रीय गौरव का अद्भुत संगम बनने जा रहा है।

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जैसलमेर का पर्यटन अब जल्द ही इतिहास, रोमांच और राष्ट्रीय गौरव का अद्भुत संगम बनने जा रहा है। ऐतिहासिक दुर्ग, हवेलियां और रेतीले धोरों के बाद अब सीमांत पर्यटन सरहदी जैसलमेर जिले के आर्थिक विकास की नई धारा प्रवाहित करेगा। भारत-पाक सीमा पर स्थित बबलियान पोस्ट को पर्यटकों के लिए खोलने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। यहां वाघा बॉर्डर की तर्ज पर रिट्रीट सेरेमनी आयोजित होगी, जो देशभक्ति और रोमांच का अनूठा अनुभव कराएगी।

सीमा दर्शन से बढ़ेगा पर्यटन

लोंगेवाला युद्ध स्मारक और तनोटराय मंदिर पहले ही सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सीमा को करीब से देखने की उनकी इच्छा अधूरी रह जाती थी। अब बबलियान पोस्ट पर सीमा दर्शन की सुविधा शुरू होते ही जैसलमेर में पर्यटकों की संख्या में कम से कम 20 प्रतिशत की वृद्धि संभावित है।

ठहरने की अवधि बढ़ी तो कारोबार को मिलेगा बढ़ावा

वर्तमान में जैसलमेर आने वाले ज्यादातर सैलानी दो दिन-रात ठहरते हैं, जिनका कार्यक्रम मुख्य रूप से जैसलमेर दुर्ग, हवेलियां और सम के धोरों तक सीमित रहता है। सीमा दर्शन जुडऩे से पर्यटकों का एक अतिरिक्त दिन ठहराव बढ़ सकता है, जिससे होटल, रेस्तरां, टैक्सी सेवा, हस्तशिल्प और बाजारों में सालाना 60 से 80 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कारोबार होगा।

फैक्ट फाइल

  • बॉर्डर टूरिज्म की संभावनाएं बढ़ेगी, 20 प्रतिशत बढ़ेंगे पर्यटक

-बबलियान पोस्ट पर पर्यटक भी कर सकेंगे गर्वपूर्ण अनुभव

  • रिट्रीट सेरेमनी वाघा बॉर्डर की तर्ज पर होने से आकर्षण बढ़ेगा
  • बॉर्डर टूरिज्म से पर्यटक 1 दिन अधिक रुक सकेंगे

बॉर्डर टूरिज्म से जैसलमेर को मिलेगी नई पहचान

सीमांत इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देना जैसलमेर के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इससे न केवल पर्यटकों का ठहराव बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय व्यवसायों को भी नई ऊर्जा मिलेगी। विशेष रूप से ग्रामीण पर्यटन और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित कर इसे और आकर्षक बनाया जा सकता है।

—सुमेरसिंह राजपुरोहित, पर्यटन विशेषज्ञ

गौरवपूर्ण अनुभूति

जैसलमेर की अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े कई इलाके अभी तक प्रतिबंधित रहे हैं, लेकिन निगरानी के साथ इन्हें खोलना संभव है। बॉर्डर टूरिज्म के माध्यम से सैलानियों को सीमांत जनजीवन, वहां की वनस्पति, जीव-जंतु और ऐतिहासिक धरोहरों का अनुभव मिलेगा, जिससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

—अनिल पंडित, पर्यटन व्यवसायी