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जैसलमेर में कार्यरत बाहरी लोगों में घर लौटने की छटपटाहट

पाकिस्तान के साथ भारत के चल रहे टकराहट का असर व्यापक रूप से जैसलमेर में नजर आ रहा है।

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पाकिस्तान के साथ भारत के चल रहे टकराहट का असर व्यापक रूप से जैसलमेर में नजर आ रहा है। सीमावर्ती जैसलमेर शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले बाहरी मजदूरों से लेकर इंजीनियर्स आदि में अपने मूल निवास लौटने की बेचैनी चरम पर दिखाई दे रही है। जैसलमेर में ड्रोन और मिसाइल हमलों की खबरें उनके परिवारों तक पहुंच रही हैं। जिसके कारण परिवार वाले उन्हें अपने पास बुला रहे हैं। कई श्रमिकों के नियोक्ता भी उन्हें वर्तमान में काम बंद होने के कारण यहां से भेज रहे हैं। रेलों की सेवाएं पहले सीमित व अब लगभग बंद होने की वजह से ऐसे लोगों के लिए निजी बसों का ही मुख्यत: सहारा है। यही कारण है कि जोधपुर, बीकानेर, जयपुर आदि की तरफ जाने वाली बसों में भारी भीड़ नजर आ रही है। कुछ बस वाले तो सवारियों को छत पर बैठा रहे हैं। मेवात क्षेत्र जा रहे मोहम्मद शाहिद, भरतपुर के पंकज, लोहावट के विशनाराम ने बताया कि जैसलमेर में उनके रहने के दौरान घर वालों में दहशत का वातावरण है। वे कह रहे हैं कि हालात सामान्य होने तक घर लौट आओ, ऐसे में वे घर जा रहे हैं। बसों में बैठने और उनका इंतजार करने के दौरान बाहरी लोगों में लौटने की एक जैसी बेसब्री नजर आई।

शहर में नजर आया भरपूर सन्नाटा

शहर में दिन में लॉकडाउन लागू कर देने और लोगों को घरों में रहने की प्रशासन की हिदायत के बाद मुख्य चौराहों व मार्गों तक पर दिन में पूरी तरह से सन्नाटा छाया नजर आया। इक्का-दुक्का लोग ही आवाजाही करते नजर आए। इससे साल 2020 और 2021 में कोरोना महामारी के दौरान किए गए लॉकडाउन की यादें ताजा हो गई। शहर के सबसे व्यस्त हनुमान चौराहा से लेकर गड़ीसर मार्ग, सम मार्ग, ह्रदयस्थल गोपा चौक आदि सभी जगहों पर एक जैसी तस्वीरें सामने आई।

मंदिरों में भी नहीं दिख रहे भक्त

बाजारों की भांति शहर के प्रमुख मंदिरों तक में रोजाना नजर आने वाले दर्शनार्थियों की तुलना में 10 फीसदी लोग भी नजर नहीं आ रहे हैं। शाम के समय ब्लैकआउट के चलते प्रमुख मंदिरों में वीरानी छाई है। शनिवार को तो दिन में भी आवाजाही को रोके जाने से भगवान के दर सूने रहे।

लोग कर रहे सहयोग, दिखा रहे अनुशासन

सीमावर्ती जैसलमेर में तीन दिन पहले रात के समय हुए ड्रोन हमले व उनके धमाकों की गूंज ने लोगों को मौजूदा हालात की गंभीरता से अच्छी तरह से परिचित करवा दिया है। यही कारण है कि लोग प्रशास की तरफ से जारी होने वाली गाइडलाइन्स की लगभग अक्षरश: पालना कर रहे हैं। वे दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कहते नजर आ रहे हैं। रात के समय घरों के बंद कमरों तक में बहुत कम लोग रोशनी जलाते हैं। बाहर लगे मीटरों को ढंका गया है ताकि उसकी रोशनी भी नहीं आए। स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं ने शनिवार को बड़े पैमाने पर घरों व दुकानों के बाहर लगे मीटरों पर सफेद कागज का सवर लगाने की कवायद की। इसी तरह से रात में अगर कोई बाइक सवार हेडलाइट जलाते हुए नजर आता है, तो वे उसे आगे बढ़ कर टोक रहे हैं। नए दुपहिया में हेडलाइट्स के ऑटोमैटिक ढंग से चालू रहने पर लोग उन पर कपड़ा या काला पॉलीथिन डाल कर चलने की सलाह दे रहे हैं।