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केवल तंत्र के भरोसे नहीं रहें अभिभावक, स्वयं जाकर देखें स्कूलों के हालात

झालावाड़ के बाद जैसलमेर जिले के पूनमनगर में राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में जो हादसा हुआ, उसे देखते हुए स्पष्ट है कि अपने जिगर के टुकड़ों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले अभिभावक केवल सरकारी तंत्र के भरोसे निश्चिंत होकर नहीं रह सकते।

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झालावाड़ के बाद जैसलमेर जिले के पूनमनगर में राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में जो हादसा हुआ, उसे देखते हुए स्पष्ट है कि अपने जिगर के टुकड़ों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले अभिभावक केवल सरकारी तंत्र के भरोसे निश्चिंत होकर नहीं रह सकते। उन्हें खुद जाकर अपने बेटे-बेटियों के स्कूलों का समय-समय पर निरीक्षण करना होगा और जहां जरूरत है, वहां आवाज भी उठानी होगी। जानकारी के अनुसार सीमावर्ती जैसलमेर जिले में कुल 1278 राजकीय विद्यालय हैं। इनमें करीब 275 उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं, शेष प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के विद्यालय हैं। वर्तमान में राज्य सरकार के निर्देशानुसार शिक्षा विभाग की तरफ से प्रत्येक संस्था प्रधान से विद्यालय भवनों की भौतिक स्थिति के बारे में जानकारी एकत्रित की जा रही है। जानकारी के अनुसार जैसलमेर जिले में करीब 30 ऐसे विद्यालय हैं, जो पूरी तरह से जर्जर हैं। जिन्हें गिरा कर नवनिर्माण करवाने की आवश्यकता है। आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त या जर्जर भवन वाले विद्यालयों की संख्या 250-300 तक बताई जाती है।

अभिभावकों में चिंता

जिले के पोकरण के ग्रामीण क्षेत्रों में कई सरकारी विद्यालयों के भवन क्षतिग्रस्त व जर्जर हैं। जिनके कभी भी गिर कर ध्वस्त हो जाने का खतरा बना हुआ है। गत दोनों झालावाड़ जिले में हुए हादसे के बाद अभिभावक भी चिंतित हैं। पोकरण क्षेत्र में कल 242 सरकारी विद्यालय हैं इनमें से कई विद्यालय भवनों की लम्बे समय से मरम्मत नहीं हुई है। जिसके कारण दीवारों में दरारें आ गई हैं, पत्थर निकल रहे हैं और छत से आए दिन प्लास्टर गिर रहा है। समय पर मरम्मत नहीं होने के कारण इन भवनों के कभी भी भरभरा कर ध्वस्त हो जाने से किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में अभिभावक भी अपने बच्चों की जान की परवाह करते देखे जा सकते हैं।

बोले अभिभवक- स्कूलों में जाकर देखेंगे हालात

स्कूल जाकर देखेंगे हालात
जिले के सरकारी स्कूलों में अध्यनरत विद्यार्थियों के अभिभावकों से जब बात की गई तो उन्होंने इस बात की चिंता जताई कि भवन काफी अर्से से क्षतिग्रस्त है। जिनकी समय पर मरम्मत नहीं हो रही है। ऐसे में कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि अब वे भी समय-समय पर विद्यालय जाकर हालत देखेंगे।

जिम्मेदार दें ध्यान, समय पर करवाए मरम्मत

स्कूल भवन क्षतिग्रस्त है। जिससे हर समय बच्चों की चिंता रहती है। जिम्मेदारों को ध्यान देकर भवन की समय पर मरम्मत करवानी चाहिए। जिससे कोई हादसा नहीं हो।

  • देवीसिंह, अभिभावक रणजीतपुरा

करेंगे जिम्मेदारों का ध्यान आकृष्ट
वर्षों पूर्व बने स्कूल भवन की दीवारों में दरारें आ रही हैं। पत्थर भी निकल रहे हैं। जिससे चिंता बनी रहती है। अब समय-समय पर वे भी स्कूल जाकर हालात देखेंगे और जिम्मेदारों का ध्यान आकर्षित करेंगे।

  • मेघसिंह राठौड़, अभिभावक, जसवंतपुराअधिकारियों से करेंगे बातक्षेत्र के स्कूल में जाकर भवनों की स्थिति देखेंगे। मरम्मत योग्य भवनों के लिए अधिकारियों से बात करेंगे, ताकि ऐसे हादसे नहीं हो।
  • झुंझारसिंह राठौड़, अभिभावक, हीरगढ़

एक्सपर्ट व्यू -शिक्षा सबका दायित्व

शिक्षा की बुनियाद मजबूत करने में अभिभावकों की सक्रिय भूमिका अहम है। जर्जर स्कूल भवनों में पढ़ रहे बच्चों के लिए अभिभावकों को नियमित रूप से विद्यालय का निरीक्षण करना चाहिए। उन्हें जनप्रतिनिधियों से स्कूल निर्माण व मूलभूत सुविधाओं के लिए दबाव बनाना चाहिए। अभिभावकों को चाहिए कि वे सामूहिक रूप से स्कूलों की समस्याओं को उठाएं और स्थानीय भामाशाहों को शिक्षा के प्रति जागरूक करते हुए स्कूल गोद लेने के लिए प्रेरित करें।

  • प्रकाश विश्नोई खारा, प्रदेश उपाध्यक्ष, राज. पंचायतीराज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ