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पत्रिका पड़ताल : जवाहिर अस्पताल में फायर सेफ्टी नाकाम… बस दिखावे तक ही सीमित इंतजाम

प्रदेश की राजधानी स्थित सवाई मानसिंह अस्पताल में आग लगने से 8 जनों को दर्दनाक मौत के बाद प्रदेश भर के अस्पतालों व चिकित्सा केंद्रों में मरीजों की सुरक्षा को लेकर नए सिरे से सवाल उठ गए हैं।

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प्रदेश की राजधानी स्थित सवाई मानसिंह अस्पताल में आग लगने से 8 जनों को दर्दनाक मौत के बाद प्रदेश भर के अस्पतालों व चिकित्सा केंद्रों में मरीजों की सुरक्षा को लेकर नए सिरे से सवाल उठ गए हैं। पत्रिका टीम ने जिला मुख्यालय स्थित सबसे बड़े राजकीय जवाहिर चिकित्सालय में आग लगने की घटनाओं से निपटने के उपायों की जांच-पड़ताल की तो परिणाम यहां भी निराशाजनक मिले। यहां अग्निशमन के इंतजाम पूरी तरह से नाकाफी हैं। आग लगने जैसी घटनाओं से निपटने का पूरा दारोमदार सिर्फ यहां पोर्टेबल अग्निशामक यंत्र यानी फायर एक्सीटिंग्वीशर पर है। ये 4 किलो गैस की क्षमता वाले यंत्र अस्पताल की विभिन्न यूनिट्स में लगाए गए हैं। इसके अलावा आग बुझाने के व्यापक बंदोबस्त केवल सजावटी हैं। गौरतलब है कि पूर्व में जवाहिर चिकित्सालय और टीबी हॉस्पीटल आदि में आग लगने की कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं।अस्पताल में जगह-जगह आग लगने के लिए प्राथमिक तौर पर काम आने वाले होज रील लगाए गए हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि ये केवल दिखावटी हैं। गौरतलब है कि होज रील को इमारतों में आग लगने की प्रारंभिक अवस्था में आग बुझाने के लिए डिजाइन किया जाता है, जिससे बड़ी आग बनने से पहले ही उसे नियंत्रित किया जा सके। इसमें एक लंबी, पतली नली लिपटी होती है जो पानी की एक स्थिर धारा प्रदान करती है। इसे इस्तेमाल करना अपेक्षाकृत आसान होता है और यह तुरंत पानी उपलब्ध कराता है, जिससे गैर-पेशेवर लोग भी इसका उपयोग कर सकते हैं।

कार्मिकों को नहीं दिया प्रशिक्षण

अस्पताल में कार्यरत कार्मिकों से पूछताछ किए जाने पर जानकारी मिली कि उन्हें आग आग बुझाने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। अस्पताल की इमारत कई हिस्सों में बंटी है। हालांकि ट्रोमा सेंटर में फायर एक्सीटिंग्वीशर के उपयोग के बारे में अवश्य जानकारी दीवार पर चित्रांकन के जरिए दी गई है। पूर्व में दो-तीन बार अस्पताल में आग लग चुकी हैं। जिससे जनहानि तो नहीं हुई, लेकिन संसाधन जल गए थे।

निकासी के भी पूरे इंतजाम नहीं

अस्पताल में आग लगने की घटना घटित होने पर सुरक्षित निकासी के लिए अलग से द्वार की व्यवस्था होनी आवश्यक है। जवाहिर चिकित्सालय के एमसीएच यूनिट में अवश्य यह व्यवस्था है, लेकिन ट्रोमा सेंटर और अन्य वार्डों में इसका अभाव है। वहीं अस्पताल परिसर में कई स्थानों पर रोक-टोक के बावजूद लोग अपने वाहन मनमाने ढंग से खड़े कर रहे हैं। ऐसे में कभी आग लगने की घटना घटित होने पर मरीजों व अन्य कार्मिकों के बाहर निकलने और दमकल की गाडिय़ों की पहुंच तक में बाधा उत्पन्न होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

लगे हैं पोर्टेबल अग्निशामक यंत्र

अस्पताल में फायर सेफ्टी के लिए जगह-जगह पोर्टेबल अग्निशामक यंत्र लगे हुए हैं। इसके अलावा मुझे इस विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है क्योंकि मैं तो कार्यवाहक तौर पर काम देख रहा हूं।

  • डॉ. सीएल डाबरिया, कार्यवाहक पीएमओ, जवाहिर चिकित्सालय, जैसलमेर