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पक्के शहर से कच्ची बस्तियों में आसान नहीं होगा पट्टा वितरण

locationजैसलमेरPublished: Jul 29, 2021 09:03:31 am

Submitted by:

Deepak Vyas

-2 अक्टूबर से प्रशासन शहरों के संग अभियान होगा शुरू-सोनार दुर्ग व 100 मीटर के क्षेत्र मे मालिकाना हक को लेकर नियमों की जटिलता

पक्के शहर से कच्ची बस्तियों में आसान नहीं होगा पट्टा वितरण

पक्के शहर से कच्ची बस्तियों में आसान नहीं होगा पट्टा वितरण


जैसलमेर. राज्य सरकार गांधी जयंती यानी आगामी 2 अक्टूबर से प्रशासन शहरों के संग अभियान चलाने जा रही है। अभियान का इंतजार जैसलमेर मुख्यालय पर हजारों कच्ची बस्ती निवासियों के साथ रियासतकालीन शहरी क्षेत्र में बसे लोग कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि अभियान के तहत उन्हें अपनी जमीन का मालिकाना हक मिल सकेगा। स्वयं सरकार ने प्रदेश भर में अभियान के तहत 10 लाख पट्टे जारी करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन जैसलमेर शहरी क्षेत्र में अभियान के तहत कई चुनौतियां व पेचीदगियां नगरपरिषद प्रशासन के सामने उपस्थित हैं। जब उनका निवारण करते हुए संबंधित लोगों को पट्टे जारी किए जाएंगे तब ही सही मायनों में अभियान का लाभ आमजन तक पहुंच सकेगा।
अवैध होने का दंश
जिस ऐतिहासिक सोनार दुर्ग ने जैसलमेर को अलहदा पहचान दिलाई है। उसमें पीढिय़ों से निवास कर रहे लोगों तथा उसके आसपास 100 मीटर की परिधि में बसे हजारों मकान मालिकों के पास पट्टे नहीं हैं। जिसके अभाव में दुर्ग के बाशिंदों को तो अवैध होने तक का दंश झेलना पड़ता है। इस रियासतकालीन बसावट में रहने वाले पट्टे के अभाव में किसी बैंक आदि से कर्ज तक नहीं ले पाते। इसमें भी ज्यादा दिक्कत उन इमारतों को लेकर हैए जहां होटलेंए दुकानें व अन्य वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। ऐसे 410 भूखंडों का सर्वे नगरपरिषद करवा चुकी है। उन्हें मिश्रित उपयोग संबंधी पट्टे दिलाए जाने पर ही संबंधित लोगों को वास्तविक लाभ मिल सकेगा। ऐसे ही पूर्व राजघराने की ओर से बेची गई सम्पत्तियों के करीब दो सौ प्रकरण 69ए के तहत दर्ज करते हुए उनमें पट्टे दिए जाने की जरूरत है।
कच्ची बस्तियों का दर्द
जैसलमेर मुख्यालय पर वर्तमान में नगरपरिषद में आठ सर्वेक्षित कच्ची बस्तियां हैं। उनके अलावा राणीसर व सोनाराम की ढाणी बस्तियों में सैकड़ों परिवार आबाद हैं। उन्हें अधिसूचित करवाए बिना वहां पट्टा वितरण नहीं हो सकता। दूसरी तरफ 1998 तथा 2004 में क्रमश: 6113 व 7226 परिवारों का कच्ची बस्तियों में सर्वे किया गया, जिनमें से महज 3045 को ही अब तक पट्टा मिल पाया है। शेष परिवारों में 8127 आवेदन तो वर्तमान में नगरपरिषद कार्यालय में लम्बित हैं। कई बस्तियों में नियमन राशि जमा करवाने के बावजूद कब्जा दिलाया जाना बाकी है तो कहीं एक भूखंड पर एकाधिक सर्वेधारी हैं। ऐसे कई प्रकरण पेचीदा व विवादों से भरे हुए हैं। जिनका निपटारा करवाया जाना कतई आसान नहीं होगा। गत वर्षों के दौरान सस्ते भूखंड के लालच में सर्वेक्षित कच्ची बस्तियों के अलावा शहर भर के बाहरी भागों में हजारों की तादाद अतिक्रमण किए जा चुके हैं। ऐतिहासिक गड़ीसर समेत कई जलाशयों के कैचमेंट क्षेत्र तक में अवैध कब्जे हो चुके हैं। और तो और अतिक्रमणकारियों ने नगरपरिषद की प्रस्तावित आवासीय कॉलोनी वाले क्षेत्रों को भी नहीं बख्शा है।
तत्परता से किया जाएगा काम: कल्ला
प्रस्तावित प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत पट्टा वितरण का कार्य नगरपरिषद तत्परता से करेगी। गत दिनों जोधपुर में स्वायत्त शासन मंत्री की मौजूदगी में आयोजित अभियान संबंधी बैठक में मेरे द्वारा दुर्ग व आसपास के क्षेत्रों में पट्टे जारी करवाने का मुद्दा उठाया गया था। जिस पर उच्चाधिकारियों ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया गया।
-हरिवल्लभ कल्ला, सभापति, नगरपरिषद जैसलमेर
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