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पर्यटन नगरी में रेबीज का खतरा, सैलानियों तक पहुंची चिंता

स्वर्णनगरी जैसलमेर जहां देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रही है, वहीं अब यहां आवारा श्वानों की बढ़ती तादाद चिंता का विषय बन गई है।

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स्वर्णनगरी जैसलमेर जहां देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रही है, वहीं अब यहां आवारा श्वानों की बढ़ती तादाद चिंता का विषय बन गई है। शहर के मुख्य बाजारों, पर्यटन स्थलों और आवासीय इलाकों में झुंड के झुंड घूम रहे आवारा श्वान स्थानीय निवासियों के अलावा आने वाले सैलानियों के लिए परेशानी के साथ संकट का सबब बने हुए हैं। शहर में ढिब्बा पाड़ा, रिंग रोड, गड़ीसर सरोवर के आसपास के क्षेत्रों, गफूर भट्टा, कलाकार कॉलोनी, डेडानसर मार्ग, हनुमान चौराहा से बिजलीघर के पीछे वाले हिस्से में एसबीआइ चौराहा तक जाने वाली लिंक रोड, शिव मार्ग से लेकर शहर के अंदरूनी इलाकों में आवारा कुत्तों की भरमार हो गई है। ये श्वान स्थानीय बाशिंदों को आए दिन काट खा रहे हैं और उन्हें अस्पताल पहुंच कर एंटी रेबीज के 5 इंजेक्शन खाने के अलावा अन्य दर्द सहने की नौबत आ रही है। सीजन में बड़ी संख्या में आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों को भी कई बार ये श्वान अपना निशाना बना लेते हैं। जवाहिर चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. चंदनसिंह तंवर के अनुसार महीने में श्वानों के काटने से घायल औसतन 15 मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिनका उपचार किया जाता है।

पर्यटक होते हैं भयभीत

स्वर्णनगरी में घूमने आने वाले सैलानियों के लिए भी आवारा श्वानों की समस्या विकट बन रही है। विशेषकर आगामी सर्दियों के मौसम में जब पर्यटन चरम पर होगा, उस समय यह समस्या संकट का रूप ले लेती है। पूर्व में भी आवारा श्वानों ने देशी के अलावा विदेशियों तक को अस्पताल पहुंचा दिया है। गौरतलब है कि विदेशियों में स्ट्रीट डॉग्स के प्रति विशेष अनुराग होता है। वे उन्हें दुलारने के लिए आगे बढ़ते हैं लेकिन कई बार आक्रामक श्वान उन्हें काट खाते हैं। श्वानों के झुंड से कई बार पर्यटक डर जाते हैं। कई बार फोटो खींचते समय या किसी दृश्य का आनंद लेते वक्त अचानक भौंकते और दौड़ते श्वानों के कारण वे घबरा जाते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार रात के समय श्वानों का झुंड बाजारों और गलियों में उत्पात मचाता है, जिससे न केवल राहगीरों को डर का सामना करना पड़ता है, बल्कि कई बार दोपहिया वाहन चालकों के गिरने तक की घटनाएं हो चुकी हैं।

नाकाम साबित हो रहे दावे

नगरपरिषद की ओर से समय-समय पर आवारा श्वानों की नसबंदी और उन्हें पकडऩे की योजनाएं चलाने का दावा किया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कई इलाकों के लोग नगरपरिषद तक शिकायत पहुंचा चुके हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। कुछ समय पहले नगरपरिषद ने इस संबंध में एक टेंडर जारी किया था, जिसमें कुत्तों को पकड़ कर उनका ट्रीटमेंट करने के बाद डॉग शेल्टर में छोड़े जाने का कार्य करवाया जाना था। वह काम पूरा नहीं हो सका। स्थानीय बाशिंदों के अनुसार यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो बढ़ती कुत्तों की संख्या आमजन विशेषकर छोटे बच्चों व बुजुर्गों व दोपहिया वाहन चालकों के लिए खतरे का सबब बनी रहेगी। यह शहर के पर्यटन व्यवसाय को भी प्रभावित कर सकती है।

श्वानो का होगा टीकाकरण

शहर के कई हिस्सों में आवारा श्वानों की समस्या गंभीर होती जा रही है। जल्द ही इस संबंध में टेंडर जारी किया जाएगा। जिसमें श्वानों का टीकाकरण करने के बाद उन्हें रामगढ़ मार्ग पर चिन्हित शेल्टर हाउस में छुड़वाया जाएगा।

  • लजपालसिंह सोढ़ा, आयुक्त, नगरपरिषद, जैसलमेर