
परमाणु परीक्षण के बाद विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुकी परमाणु नगरी पोकरण धार्मिक नगरी के रूप में भी ख्याति प्राप्त कर रही है। ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण करने आने वाले पर्यटकों के साथ देश के कोने-कोने से 3 से 4 लाख श्रद्धालु भी यहां पहुंच रहे है। जिससे धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिल रहा है और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है। गौरतलब है कि 18 मई 1974 को पहली बार एवं 11 व 13 मई को दूसरी बार पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में किए गए परमाणु परीक्षण से पोकरण को नई पहचान मिली। जिसके चलते रेत के धोरों के बीच सरहदी जिले में स्वर्णनगरी भ्रमण के साथ पर्यटकों का पोकरण में भी ठहराव हो रहा है। कस्बे में स्थित करीब एक दर्जन दैवीय मंदिरों का ऐतिहासिक महत्व श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यूं तो वर्ष में दो बार चैत्र व अश्विन माह में नवरात्रा होते है, लेकिन शारदीय नवरात्रा का धार्मिक महत्व अधिक है। जिसके चलते कस्बे व आसपास क्षेत्र में स्थित दैवीय मंदिरों में शारदीय नवरात्रा के दौरान भीड़ उमड़ती है। जिससे यहां के पर्यटन व्यवसाय को भी गति मिलती है।
कस्बे में एक दर्जन दैवीय मंदिरों के साथ अन्य देवी देवताओं के मंदिर स्थित है। विशेष रूप से नवरात्रा के दौरान इन दैवीय मंदिरों में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचते है और दर्शन करते है। कस्बे के प्रसिद्ध आशापुरा माता मंदिर में बीकानेर, कोलकाता से श्रद्धालु आते है। खींवज माता मंदिर में मुंबई, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में निवास कर रहे श्रद्धालु नवरात्र के दौरान यहां पहुंचते है। माहेश्वरी गांधी समाज की कुलदेवी धरज्वल माता का देशभर में एकमात्र मंदिर पोकरण में ही स्थित है। जिसके चलते देश के अलग-अलग हिस्सों में निवास कर रहे माहेश्वरी नावंधर गांधी समाज के लोग नवरात्र के दौरान यहां पहुंचकर दर्शन करते है। इसके अलावा जाज्वला माता, जया संच्चियाय माता मंदिर, चामुंडा माता, हिंगलाज माता, कालका, करणी माता के मंदिरों में केवल नवरात्रा के दौरान ही हजारों श्रद्धालुओं की आवक होती है। इसी प्रकार क्षेत्र के भादरिया गांव में स्थित भादरियाराय माता मंदिर, माड़वा गांव में स्थित चंदू मैया, देवल माता के मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की आवक होती है। ये श्रद्धालु पोकरण होकर ही आवागमन करते है।
वर्ष में दो बार होने वाले नवरात्र के दौरान हजारों श्रद्धालु आस्था व श्रद्धा के चलते यहां आते है। ये श्रद्धालु दर्शनों के साथ बाजार से खरीदारी भी करते है। इन श्रद्धालुओं की आवक से होटल, रेस्टोरेंट के साथ ही अन्य व्यवसाय भी गति पकड़ रहे है। जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने में बाबा रामदेव का अंतरप्रांतीय भादवा मेला भी कारगार साबित होता है। देश भर से 40 लाख से अधिक श्रद्धालु रामदेवरा पहुंचते है, जिनमें से अधिकांश श्रद्धालु पोकरण से ही आवागमन करते है। ऐसे में स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलता है।
श्रद्धालुओं की आवक से बढ़ रहा पर्यटन
पोकरण में करीब एक दर्जन दैवीय मंदिर एवं अन्य देवी देवताओं के मंदिर स्थित है। वर्ष के 2 नवरात्रा के दौरान देश के कोने-कोने से 4 लाख से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंचते है। जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।
धार्मिक पर्यटकों के रूप में हजारों श्रद्धालुओं की आवक से होटल, रेस्टोरेंट व्यवसाय भी तेजी पकड़ रहा है। इसके अलावा बाजारों में अन्य सामान भी जमकर बिक्री होती है। जिससे लोगों को रोजगार मिल रहा है।
Published on:
09 Oct 2025 10:56 pm
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