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उपेक्षा के चलते दुर्बल हो गया शक्ति स्थल

- पोकरण परमाणु परीक्षण की गौरव पूर्ण स्मृति में करवाया गया था निर्माण- रख-रखाव के अभाव में झेल रहा बदहाली का दंश।

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उपेक्षा के चलते दुर्बल हो गया शक्ति स्थल

उपेक्षा के चलते दुर्बल हो गया शक्ति स्थल

पोकरण. परमाणु परीक्षण के बाद परमाणु नगरी पोकरण ने अपनी पहचान विश्वभर में कायम की। जिसे शक्तिस्थल के रूप में पहचान दिलाने के साथ ही पर्यटन के मानचित्र पर अंकित करने के उद्देश्य से गत 14 वर्ष पूर्व कस्बे में जैसलमेर रोड पर खादी भंडार परिसर में शक्तिस्थल की स्थापना की गई, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षाओं के चलते यह योजना उद्देश्यहीन होकर रह गई है। गौरतलब है कि तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ.केके पाठक ने पोकरण कस्बे की विश्वस्तरीय पहचान को देखते हुए यहां देसी विदेसी पर्यटकों के ठहराव व कस्बे के प्रति आकर्षण को बढ़ाने के लिए एक परिकल्पना की। उन्होंने परिकल्पना को मूर्तरूप देते हुए नगरपालिका प्रशासन व खादी ग्रामोद्योग कार्यकर्ताओं के सहयोग से जैसलमेर रोड स्थित खादी भंडार परिसर को शक्तिस्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को पोकरण के शक्तिस्थल होने की एक झलक दिखाई दे सके।
ये किए थे कार्य
- देसी विदेसी पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाने के लिए खादी भंडार परिसर में एक विशाल आयुद्ध गैलेरी का निर्माण किया गया।
- इस गैलेरी में पाषाणयुग, लोह व काष्ठ युगीन हथियारों, तलवार, भाले, तीर कमान, कटार, बरछी के साथ ही आधुनिक अस्त्र शस्त्रों को एकत्र कर सजाया गया।
- आजतक के विभिन्न युद्धों की जानकारी संकलित कर प्रदर्शन के तौर पर लगाई गई।
- विभिन्न युद्धों से संबंधित चित्र, महापुरुषों व अमर शहीदों के चित्रों से भी सजाया गया।
- म्यूजियमनुमा इस आयुद्ध गैलेरी के बाहर एक चौकी पर 1971 में पाकिस्तान से जीतकर लाया गया टैंक, युद्धक जहाज विक्रांत व मिसाईल के मॉडल भी लगाए गए।
- परिसर में एक अमर जवान ज्योति, परमाणु भट्टी व बम, रेगिस्तान में भारतपाक सीमा पर सीमासुरक्षा बल की चौकी, तारबंदी के साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में बनाए जाने वाले भूमिगत बंकर व मोर्चों के मॉडल का भी निर्माण करवाया गया।
- यहां आने वाले पर्यटक एक ही जगह पर जल, थल व वायुसेना के बारे में कुछ जानकारियां हासिल कर सके।
प्रशासनिक उपेक्षा के चलते सब बेकार
तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ.पाठक के यहां से स्थानांतरण हो जाने के पश्चात् शक्तिस्थल विकास योजना के बुरे दिन उसी दिन से प्रारंभ हो गए थे तथा उनके पश्चात् आए कलक्टरों ने इसके विकास के बारे में न तो कभी सोचा न ही कभी इसकी ओर मुड़कर देखा। इसी के चलते यहां खर्च की गई लाखों रुपए की धनराशि व यहां की गई जीतोड़ मेहनत सब कुछ बेकार साबित हो रहा है। गत कई वर्षों से जहां आयुद्ध गैलेरी में दर्शकों की आवक पूर्णतया बंद पड़ी है तथा बाहर पड़े अन्य मॉडल देखरेख के अभाव में खराब हो रहे हैं।
छह लाख की राशि खर्च कर करवाए गए निर्माण कार्य
शक्तिस्थल में नगरपालिका, क्षेत्रीय विधायक व जिला कलक्टर की ओर से दी गई छह लाख की राशि से आयुद्ध गैलेरी, शक्तिस्थल की चारदीवारी, जनसुविधाओं के विकास के साथ ही मरम्मत कार्य करवाया गया था। इसी तरह यहां आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए केन्टीन भी लगाई गई थी। लेकिन पर्यटकों का आवागमन कम होने के कारण केन्टीन को मजबूरन बंद करना पड़ा। इसके अलावा कुछ कार्य व मॉडल्स का निर्माण सीमा सुरक्षा बल की ओर से भी किया गया था तथा शक्तिस्थल के बीचोंबीच अमरजवान ज्योति का निर्माण करवाया गया था। जहां देश के नाम गुमनाम शहीदों को यहां पुष्पचक्र चढ़ाकर नमन किया जा सके, जो देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त होने लगा है। यहां करवाए गए सभी निर्माण कार्य बेकार साबित हो रहे है।