
पर्यटन के मानचित्र पर अंकित करने के उद्देश्य से गत करीब डेढ़ दशक पूर्व यहां कस्बे में जैसलमेर रोड पर खादी ग्रामोद्योग परिसर में शक्तिस्थल के नाम से एक म्यूजियम की स्थापना की गई, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षाओं के चलते यह योजना उद्देश्यहीन होकर रह गई। जानकारी के अनुसार करीब डेढ़ दशक पूर्व पोकरण कस्बे की विश्वस्तरीय पहचान को देखते हुए यहां देशी विदेशी पर्यटकों के ठहराव व कस्बे के प्रति आकर्षण को बढ़ाने के लिए नगरपालिका प्रशासन व स्थानीय खादी ग्रामोद्योग कार्यकर्ताओं के सहयोग से जैसलमेर रोड स्थित खादी भंडार परिसर को शक्तिस्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया, ताकि यहां आने वाले देशी विदेशी पर्यटकों को पोकरण के शक्तिस्थल होने की एक झलक दिखाई दे सके। यह योजना ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी। परिकल्पना करने वाले तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. केके पाठक के स्थानांतरण के साथ ही शक्तिस्थल के बुरे दिनों की शुरुआत हुई और अब यहां बनाए गए मॉडल क्षतिग्रस्त हो रहे है।
शक्तिस्थल की स्थापना करने का मूल उद्देश्य पोकरण क्षेत्र को पर्यटन हब के रूप में विकसित करना था। जिससे स्थानीय लोगों को पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार मिल सके, लेकिन यह योजना अपने उद्देश्यों पर खरी नहीं उतर पाई। शक्तिस्थल में करवाए गए विकास कार्य ध्वस्त हो जाने के कारण पोकरण क्षेत्र को पर्यटन के रूप में नए आयाम नहीं मिल सके। यहां खर्च की गई लाखों रुपए की धनराशि का भी उपयोग नही हो पा रहा है। यहां निर्मित अमर जवान ज्योति भी क्षतिग्रस्त हो गई। इसके साथ ही सेना के बंकर का मॉडल, मिसाइल, सीमा सुरक्षा बल की तारबंदी के मॉडल आदि बिखर चुके है।
पोकरण में हुए परमाणु परीक्षणों की आमजन को जानकारी देने और पर्यटकों को पोकरण में आकर्षित करने के उद्देश्य से इंदिरा शक्ति पेनोरमा की घोषणा की गई, लेकिन अभी तक न तो जमीन आवंटित हो सकी है, न ही कोई कवायद आगे बढ़ सकी।
Published on:
29 Jul 2024 11:28 pm
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