
नहीं बदली जवाहर चिकित्सालय की किस्मत,आधी से ज्यादा कुर्सियां खाली
जैसलमेर. राज्य में एक के बाद एक सरकारें बदलती रही है, लेकिन सीमावर्ती जैसलमेर जिले के एकमात्र राजकीय अस्पताल जवाहर चिकित्सालय की किस्मत है कि पलटने का नाम नहीं ले रही। इस अस्पताल में आधे से ज्यादा कुर्सियां खाली हैं। इन पर बैठ कर मरीजों का उपचार करने वाले चिकित्सक और अन्य सहायक स्टाफ की कमी है। यही वजह है कि चंद प्रसिद्ध चिकित्सकों के सरकारी निवास पर दिनभर मरीजों का जमघट लगा रहता है। यही कारण है कि दोपहर १२ बजे के बाद अस्पताल परिसर में गिनती के मरीज नजर आते हैं, जबकि इसी समय चिकित्सकों के घरों पर भीड़ दिखाई देती है। सरकारी अस्पताल में चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ समेत तकनीशियनों की कमी की समस्या नई नहीं है। समय-समय पर मंत्री, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी अस्पताल के दौरे करते हैं। रिक्त पदों पर नियुक्तियां करवाए जाने के बावजूद भी कई बार चिकित्सक यहां कार्यभार ग्रहण करने नहीं पहुंचते और ज्यादा दबाव पडऩे पर आ जाए जैसलमेर अस्पताल छोड़ जाते हैं। पूर्व तथा वर्तमान चिकित्सा मंत्रियों की ओर से जैसलमेर दौरों के दौरान दिए गए आश्वासन भी फलीभूत नहीं हो सके हैं। चिकित्सक कई बार लम्बी अवधि के डेपूटेशन करवाकर अन्यत्र जिलों में सेवाएं देने को तरजीह देते रहे हैं।
यह है मौजूदा हालात
जवाहर चिकित्सालय में स्पेशलिस्ट चिकित्सकों का बड़ा अभाव है। वर्तमान में यहां चिकित्सा अधिकारियों के ४९ में से २० पद रिक्त हैं, लेकिन जो चिकित्सक कार्यरत हैं, उनमें भी विशेषज्ञ गिनती के हैं। ऐसे ही द्वितीय श्रेणी के नर्सेज के ७० में से ५२ पद रिक्त पड़े हैं। तकनीकी चिकित्साधिकारियों के तो यह हालात हैं कि अधीक्षक रेडियोग्राफर, वरिष्ठ और रेडियोग्राफर के सभी पद खाली हैं तथा एकमात्र सहायक रेडियोग्राफर से काम चलाना मजबूरी बना हुआ है। इसके चलते मरीजों को निजी क्लिनिकों में जांच करवाना मजबूरी बना हुआ है और नि:शुल्क जांच सुविधा का लाभ उन्हें पूरा नहीं मिल पा रहा। वरिष्ठ लेब तकनीशियन के सभी ७ तथा तकनीशियन के सभी ६ पदों पर नियुक्ति का इंतजार बना हुआ है।
लोक अदालत का फैसला
इस बीच गत दिनों लोक अदालत जैसलमेर ने आगामी तीन महीनों में अस्पताल का आइसीयू शुरू करने से लेकर अन्य सभी कमियों को दूर करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा महकमे व चिकित्सालय प्रशासन को आदेशित किया है। लोक अदालत ने जब कमीश्रर नियुक्त कर रिपोर्ट करवाई तो पता चला कि अस्पताल में सभी जरूरी व्यवस्थाएं या तो नदारद हैं अथवा उनकी स्थिति नाजुक हैं। अस्पताल प्रशासन ने रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को नए सिरे से अवगत करवाया है।
फैक्ट फाइल -
- 40 फीसदी चिकित्सकों के पद रिक्त
- 60 फीसदी से ज्यादा अराजपत्रित पद खाली
- 1941 में जवाहर चिकित्सालय की स्थापना हुई
सुधार के लिए कर रहें प्रयास
जवाहर चिकित्सालय की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए हम पूरी तरह से प्रयासरत हैं। रिक्त पदों की समस्या का समाधान सरकार के स्तर से होना है। इस संबंध में लगातार अवगत करवाया जा रहा है।
- डॉ. बीएल बुनकर, पीएमओ, जवाहर चिकित्सालय, जैसलमेर
Published on:
24 Jan 2020 08:33 pm
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