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राजस्थान के इस बॉर्डर से सटे गांव में हो गया कुछ ऐसा कि हर कोई हैरान-परेशान, जानिए क्यों…

लोग बिजली के बिना जीवन जीने को मजबूर हैं। बिजली बंद होने के कारण जलापूर्ति भी प्रभावित हुई है। पेयजल संकट पहले से ही बना हुआ था, अब स्थिति और गंभीर हो गई है। बुजुर्गों, महिलाओं और बीमारों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि समस्या के समाधान की न तो कोई सरकारी कोशिश हो रही है और न ही जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान दे रहे हैं। जिला प्रशासन की चुप्पी ने लोगों की नाराजगी और बढ़ा दी है।

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तनोट क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांव और ढाणियां बीते एक सप्ताह से अंधेरे में डूबे हुए हैं। भीषण गर्मी के दौरान बिजली नहीं होने से ग्रामीणों की स्थिति बद से बदतर हो गई है। कूलर, पंखे बंद हैं और पानी की आपूर्ति भी ठप हो गई है। हालात यह हैं कि ग्रामीणों को दिन-रात गर्म हवा और प्यास के बीच गुजर-बसर करनी पड़ रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह संकट विद्युत निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच समन्वय की कमी का परिणाम है। तनोट में सात वर्ष पूर्व 33/11 केवी का जीएसएस बनाया गया था, लेकिन आज तक चालू नहीं किया गया। स्थानीय लोग कहते हैं कि यह जीएसएस सिर्फ फाइलों में चल रहा है, जमीन पर इसकी कोई उपयोगिता नहीं दिखती। अब तक तनोट क्षेत्र को अस्थायी रूप से जलदाय विभाग की लाइन से बिजली आपूर्ति की जा रही थी। एक सप्ताह पहले जलदाय विभाग ने यह लाइन काट दी, जिससे पूरे क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति बंद हो गई। इसके बाद से लोग बिजली के बिना जीवन जीने को मजबूर हैं। बिजली बंद होने के कारण जलापूर्ति भी प्रभावित हुई है। पेयजल संकट पहले से ही बना हुआ था, अब स्थिति और गंभीर हो गई है। बुजुर्गों, महिलाओं और बीमारों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि समस्या के समाधान की न तो कोई सरकारी कोशिश हो रही है और न ही जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान दे रहे हैं। जिला प्रशासन की चुप्पी ने लोगों की नाराजगी और बढ़ा दी है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे।