
धोरों में धोखाधड़ी से गिर रही जैसलमेर पर्यटन की साख
जैसलमेर। देश-दुनिया में पर्यटन के नक्शे पर अलहदा पहचान रखने वाले जैसलमेर को मौजूदा मुकाम तक पहुंचाने में सम सेंड ड्यून्स का कितना बड़ा योगदान है, यह किसी को बताने की शायद जरूरत नहीं है। दर्जनों फिल्मों से लेकर कॉमर्शियल एड और लाखों-करोड़ों रुपए के खर्च से होने वाली भव्य शादियों तक में सम के मखमली धोरे अलग ही रंग भरते रहे हैं लेकिन इन्हीं धोरों पर व उनके किनारे फेक नामों से रिसोट्र्स में ऑनलाइन बुकिंग कर पर्यटकों के साथ धोखाधड़ी किए जाने के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। पर्यटन से जुड़ी ऑनलाइन वेबसाइट्स पर आंख मंूद कर विश्वास करने वाले सैलानी ठगे जा रहे हैं। जब ऐसे लोग जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 42 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित सम सेंड ड्यून्स पहुंचते हैं तो उन्हें कई बार धक्का लगता है।
केस 1 - गुजरात के हिम्मतनगर निवासी प्रफुल्लभाई अपने परिवार के साथ जैसलमेर घूमने आए। उससे पहले ही उन्होंने सम स्थित एक रिसोर्ट में ठहराव के लिए अग्रिम तौर पर बुकिंग करवा दी। जब वे बताए गए स्थल पर पहुंचे तो रिसोर्ट का नाम व वहां की सुविधाएं सभी अलग ही मिली। कहने की जरूरत नहीं कि, प्रफुल्लभाई के पास सिर धुनने के अलावा कोई चारा नहीं बचा।
केस 2 - पिछले दिनों नववर्ष का जश्र मनाने गाजियाबाद से कुछ युवा घूमने के लिए जैसलमेर आए। वे भी ऑनलाइन बुकिंग करवाकर आए थे। गूगल मैप के जरिए सीधे सम क्षेत्र में उस जगह पहुंचे, जहां उन्हें ठहरना था। वहां जाकर पता चला कि उक्त स्थल पर कोई रिसोर्ट ही नहीं था।
केस 3 - धोखाधड़ी का ऐसा ही वाकया मध्यप्रदेश के सागर से आए दो दोस्तों के परिवारों के साथ भी पेश आया। उन्होंने इंटरनेट पर ऑनलाइन बुकिंग कर ली। सम सेंड ड्यून्स पर उक्त स्थल पर जाकर पहुंचने पर उन्होंने पाया कि जिन फोटोग्राफ्स को देखकर वे वहां आए थे, वैसा कुछ नहीं दिखा। रिसोट्र्स के संचालक ने कहीं और के फोटो अन्य रिसोट्र्स की वेबसाइट्स से कॉपी कर अपने रिसोट्र्स की साइट पर चस्पा कर दिए।
पुलिस ने शुरू की तहकीकात
सम सेंड ड्यून्स पर रिसोट्र्स में धोखेबाजी के ऐसे मामले प्रकाश में आने के बाद पुलिस ने सक्रियता दिखाई है। जिला पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में जैसलमेर वृत की उपअधीक्षक प्रियंका कुमावत को जांच का जिम्मा सौंपा। उपअधीक्षक ने इस मामले में सम थाना को साथ लेकर सबसे पहले धरातल पर अवस्थित रिसोट्र्स का भौतिक सत्यापन कर सूचीकरण किया है। जानकारी के अनुसार इसमें पुलिस ने पाया कि सम क्षेत्र में कुल 114 रिसोट्र्स स्थापित हैं। इनमें कुछ रिसोट्र्स बंद हैं और करीब 106 वर्तमान में संचालित हैं। इसके आधार पर पुलिस अग्रिम अनुसंधान में भी जुटी हुई है। सम क्षेत्र के कई रिसोर्ट व्यवसायी स्वयं चाहते हैं कि पुलिस मामले की तह तक जाए और ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। उनका कहना है कि सम का नाम बदनाम होने से उनके व्यवसाय पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
कामयाब नहीं हो रहे प्रयास
सम में फेक रिसोट्र्स की आड़ में ठगी के काले धंधे के खिलाफ वहां स्थित रिसोट्र्स वालों ने अपनी तरफ से कई बार प्रयास किए हैं। सम कैम्प एंड वेलफेयर सोसायटी की ओर से जिला पुलिस प्रशासन के सामने यह मामला उठाया गया। साथ ही ट्रेवल संबंधी वेबसाइट्स के प्रतिनिधियों के प्रसंज्ञान में मय प्रमाण यह समस्या पेश की है। उन्होंने बाकायदा 50 से अधिक फेक रिसोर्ट के नामों की एक सूची भी वेबसाइट्स के साथ साझा की है। करीब 40 फेक रिसोट्र्स को हटवाया भी गया है। इसके बावजूद यह समस्या निरंतर जारी है।
फैक्ट फाइल -
- 114 रिसोट्र्स सम क्षेत्र में स्थापित
- 60 के करीब फर्जी रिसोट्र्स
- 05 लाख से ज्यादा सैलानी सालाना पहुंचते हैं सम
- 20 से ज्यादा नए रिसोट्र्स खुले पिछले साल
हम सहयोग के लिए तैयार
ऑनलाइन बुकिंग करने वाले कई सैलानियों के साथ फेक रिसोट्र्स संचालक ठगी करते हैं। इससे सम के पर्यटन की बदनामी होती है। जबकि ठगी करने वाले लोग सम की बजाए जैसलमेर ही नहीं राजस्थान व राज्य से बाहर बैठ कर भी इस कार्य को अंजाम देते हैं। हमारा संगठन इस संबंध में पुलिस प्रशासन को हरसंभव सहयोग देने के लिए तत्पर है।
- कैलाश व्यास, अध्यक्ष, सम कैम्प एंड रिसोट्र्स वेलफेयर सोसायटी
सम सेंड ड्यून्स स्थित रिसोट्र्स।
Published on:
20 Feb 2022 10:23 pm
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