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ऐतिहासिक गड़ीसर की आत्मा संकट में, जलमग्न होने लगी ऐतिहासिक धरोहरें

स्वर्णनगरी का ऐतिहासिक गड़ीसर सरोवर देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का एक प्रमुख केन्द्र होने के साथ रियासतकालीन विरासत का शानदार नमूना भी है।

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स्वर्णनगरी का ऐतिहासिक गड़ीसर सरोवर देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का एक प्रमुख केन्द्र होने के साथ रियासतकालीन विरासत का शानदार नमूना भी है। रेगिस्तानी क्षेत्र में इतना विशाल सरोवर देख कर हर कोई अचम्भित रह जाता है। तालाब की जलराशि के मध्य बनी प्राचीन छतरियां और बंगली न केवल स्थापत्य कला के अद्भुत नमूने हैं बल्कि अतीत की गवाही भी देती हैं लेकिन विडम्बना यह है कि जहां गड़ीसर के बाहरी क्षेत्र में सौंदर्यकरण व विकास कार्यों पर इन दिनों करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, वहीं इन कलात्मक धरोहरों की सुध किसी को नहीं है। परिणामस्वरूप छतरियों और बंगली में जगह-जगह दरारें आ गई हैं, पत्थरों का क्षरण हो रहा है और कई स्थानों पर ढांचागत टूट-फूट साफ नजर आने लगी है। दो दिन पहले की बारिश के दौरान गड़ीसर में बाएं भाग में बनी कलात्मक छतरी का ऊपरी हिस्सा व रेलिंग भरभरा कर गिर कर जलमग्र हो गया। कुछ पत्थर अब भी छतरी के फर्श पर बिखरे हुए हैं।

लोगों में गुस्सा, जता रहे निराशा

स्थानीय बाशिंदों का कहना है कि गड़ीसर सरोवर के चारों ओर के हिस्से में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं मगर ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा और मरम्मत के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही। यह अनदेखी पिछले करीब एक दशक से बदस्तूर जारी है। पर्यटक भी यहां पहुंचकर सुंदर रोशनी और आधुनिक आकर्षण को देख कर सराहते हैं, लेकिन टूटी-फूटी छतरियों और जर्जर बंगली को देखकर निराश हो जाते हैं। इससे न केवल क्षेत्र की ऐतिहासिक छवि धूमिल हो रही है बल्कि पर्यटन पर भी विपरीत असर पड़ सकता है।

समय रहते जिम्मेदार

गड़ीसर सहित ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण की दरकार जताने वाले लोगों का मानना है कि गड़ीसर की ये कलात्मक छतरियां जैसलमेर की स्थापत्य धरोहर का अहम हिस्सा हैं। इनका संरक्षण सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए भी अनिवार्य है। समय रहते मरम्मत और संरक्षण कार्य नहीं किए गए तो आने वाले वर्षों में यह धरोहरें खंडहर में तब्दील हो सकती हैं। स्थानीय नागरिकों और स्वयंसेवी संस्थाओं की तरफ से जिला प्रशासन और नगरपरिषद से निरंतर मांग की जा रही है कि गड़ीसर सरोवर के सौंदर्यकरण में संतुलन कायम रखते हुए इन प्राचीन संरचनाओं के संरक्षण पर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाए। साथ ही पुरातत्व विभाग और विशेषज्ञों की देखरेख में तत्काल मरम्मत कार्य शुरू किया जाए, ताकि आने वाली पीढिय़ों को भी जैसलमेर की इस धरोहर पर गर्व हो सके।