खामोश हुई शहनाई की मधुर गूंज… उस्ताद पेम्पा खान का निधन
राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और संगीत जगत के अनमोल रत्न माने जाने वाले उस्ताद पेम्पा खान हमीरा का गुरुवार को निधन हो गया है।
राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और संगीत जगत के अनमोल रत्न माने जाने वाले उस्ताद पेम्पा खान हमीरा का गुरुवार को निधन हो गया है। वे 83 वर्ष के थे। उनकी शहनाई की सुरमई गूंज ने न केवल राजस्थान बल्कि पूरे विश्व में संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया था। वे पद्मश्री साकार खान मांगणियार के छोटे भाई थे। जिले के हमीरा गांव में उन्होंने गुरुवार सुबह अंतिम सांस ली। वे अपने बड़े भाई साकार खान के कामायचा के साथ मुरली और शहनाई वादन के लिए ख्याति अर्जित कर चुके थे। गौरतलब है कि वर्ष 1970 में पद्मभूषण कोमल कोठारी के साथ जुड़ने के बाद, पेम्पा खान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला के लिए जाने जाने लगे। उन्होंने फेस्टिवल ऑफ इंडिया अमेरिका, फ्रांस और रुस में अपनी खास पहचान बनाई। उन्होंने अपने जीवनकाल में 20 से अधिक विदेशों की यात्राएं की। उन्हें सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं से भी सम्मानित किया गया है। उनके निधन से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। रुपायन संस्थान के सचिव कुलदीप कोठारी ने पेम्पा खां के निधन को कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। जैसलमेर मिरासी समाज के जिलाध्यक्ष सलीम खान राजदरबारी ने इस दु:खद समाचार की पुष्टि करते हुए कहा कि पेम्पा खान की संगीत साधना सदैव प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। वे राजस्थान रत्न और मरुधर कलकत्ता पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके थे। इसके साथ ही वे संगीत नाटक अकादमी के पुरोधा भी थे। अपने बड़े भाई पद्मश्री साकर खान के साथ उन्होंने जैसलमेर की सांस्कृतिक पहचान को विश्व पटल पर स्थापित किया।
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