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पोकरण में एक दशक में अतिक्रमणों की हुई भरमार

पोकरण कस्बे में सरकारी भूमि पर अतिक्रमणों का सिलसिला बदस्तूर जारी है। करीब डेढ़ दशक पूर्व हुई अतिक्रमणों की शुरुआत सरकारी भूमि को निगलती जा रही है।

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पोकरण कस्बे में सरकारी भूमि पर अतिक्रमणों का सिलसिला बदस्तूर जारी है। करीब डेढ़ दशक पूर्व हुई अतिक्रमणों की शुरुआत सरकारी भूमि को निगलती जा रही है। इसके बावजूद जिम्मेदारों को मानो कोई फर्क नहीं पड़ रहा। गौरतलब है कि 2009 में कस्बे में फलसूंड रोड के किनारे अतिक्रमणों की शुरुआत हुई थी। सरकार की ओर से अवैध कब्जों को नियमन के दिए आदेश के बाद सरकारी भूमि पर रातों-रात मकान खड़े होने लगे थे। सरकार की ओर से इन कब्जों का नियमन करने के साथ कॉलोनी में कई विकास कार्य करवाए गए। ऐसे में अतिक्रमण की प्रवृत्ति लगातार आगे बढ़ती गई। कई लोगों ने उस समय भूमि पर अतिक्रमण कर मकान खड़े कर दिए तो कुछ ने केवल कब्जा कर छोड़ दिया और बीते कुछ वर्षों में कार्रवाई नहीं होने पर मकान बनाने शुरू किए है। बीते डेढ़ दशक में नगरपालिका की कई बीघा भूमि अतिक्रमण की गिरफ्त में जा चुकी है।

बीते 10 सालों में बदली स्थिति

सेटेलाइट से वर्ष 2014 की स्थिति देखें तो फलसूंड रोड के किनारे नगरपालिका की काफी जमीन खाली नजर आ रही है। जबकि 2024 की स्थिति बदल चुकी है। गत 7-8 वर्षों में न तो कोई कॉलोनी काटी गई है, न ही भूखंड आवंटित किए गए है। इसके बावजूद कब्जों के बाद मकानों की भरमार हो गई है।

पहले कब्जे, फिर नियमन

बीते डेढ़ दशक में सरकारी भूमि पर किए गए कब्जों का नियमन करने का खेल जारी है। कब्जों के बाद फाइल चलाकर उसका नियमन कर दिया जाता है। जिससे सरकार की भूमि भू-माफियाओं के कब्जे में जा रही है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष नगरपालिका की ओर से जारी पट्टों की भी जांच चल रही है। जिसका निर्णय अभी तक हुआ नहीं है।

की जाएगी कार्रवाई

पूर्व में सरकार के आदेश पर नियमानुसार कब्जों का नियमन किया गया था। अब जो कब्जे नियम में नहीं है, उन्हें हटाने की कार्रवाई की जाएगी।

  • झब्बरसिंह चौहान, अधिशासी अधिकारी नगरपालिका, पोकरण