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हाल-ए-जिला अस्पताल: यहां कोई जांच होती नहीं, लिहाजा नि:शुल्क का सवाल नहीं

- सोनोग्राफी मशीन भी ऑपरेटर के बिना- सभी किस्म की अहम जांचें ठप

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हाल-ए-जिला अस्पताल: यहां कोई जांच होती नहीं, लिहाजा नि:शुल्क का सवाल नहीं

हाल-ए-जिला अस्पताल: यहां कोई जांच होती नहीं, लिहाजा नि:शुल्क का सवाल नहीं

जैसलमेर. राजस्थान की गहलोत सरकार अपनी अहम उपलब्धियों में सरकारी चिकित्सालयों में नि:शुल्क जांच और उपचार को गिनाते नहीं थकती लेकिन जैसलमेर के जिला अस्पताल जवाहिर चिकित्सालय की कहानी इस मामले में भी हमेशा की तरह अलग है। अस्पताल में किसी तरह की अहम से लेकर सामान्य जांचें तक फिलहाल नहीं की जा रही है और मरीजों को सैकड़ों-हजारों रुपए खर्च कर निजी जांच केंद्रों से जांचें करवाने को मजबूर होना पड़ रहा है। एक अंदाज के अनुसार प्रतिदिन कम से कम तीन लाख रुपए से ज्यादा की जांचें जिला अस्पताल पहुंचने वाले लोगों को बाजार में जाकर करवानी पड़ रही है। ऐसे में नि:शुल्क उपचार के सरकारी दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। गत छह महीनों से अस्पताल के माध्यम से जोधपुर के क्रष्णा निजी लैब में होने वाली जांचें अब भी बंद हैं साथ ही गत कई दिनों से सोनोग्राफी जैसी आम जरूरत वाली जांच भी नहीं हो रही है। ऐसे में निम्र वर्ग के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को विवश होकर निजी क्षेत्र के जांच केंद्रों पर जाकर जेबें कटवाने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
सोनोग्राफी कौन करे
जानकारी के अनुसार जवाहिर चिकित्सालय में सोनोग्राफी करने वाले चिकित्सक ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। उसके बाद से सोनोग्राफी मशीन कमरे में बंद पड़ी है। उसे चलाने वाला व्यक्ति नहीं होने की वजह से वह काम में नहीं आ रही है और कम से कम सौ से डेढ़ सौ मरीज जिनमें सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाएं होती हैं, को सोनोग्राफी करवाने के लिए निजी सोनोग्राफी केंद्रों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बाजार में सोनोग्राफी जांच की दर १००० से १२०० रुपए तक वसूल किए जाते हैं। इस तरह से केवल सोनोग्राफी जांच की सुविधा नहीं होने से ही अस्पताल के मरीजों को प्रतिदिन एक से डेढ़ लाख रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। जबकि गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव वास्ते प्रेरित करने के लिए राज्य सरकार का सबसे ज्यादा जोर रहता है। सरकार कई तरह के प्रोत्साहन देकर इसे बढ़ावा देती है। अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा नहीं होने से कई गरीब परिवारों की महिलाएं धनाभाव में जांच करवाने से भी कतरा सकती हैं, इसकी पूरी आशंका है। अस्पताल में पैथोलॉजिस्ट के नहीं होने से रक्त संबंधी जांचों की सुविधा भी सुचारू ढंग से नहीं चल पा रही है। मरीजों को इस तरह की जांचें करवाने के लिए निजी केंद्रों का रुख करना पड़ रहा है।
बाहरी जांचें कई महीनों से बंद
जवाहिर चिकित्सालय में जोधपुर सेम्पल भेजकर जांच करवाने की नि:शुल्क व्यवस्था तो कई महीनों से ठप ही पड़ी हैं। जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के स्तर से ठेके का निस्तारण नहीं होने के कारण यह जांच व्यवस्था बंद पड़ी है। बताया जाता है कि सरकार की ओर से जारी निविदा का मामला पहले कोर्ट में चला गया था। उसके बाद राज्य सरकार ने जांचों के दायरे को बढ़ाते हुए १४३ किस्म की जांचों के लिए नया टेंडर जारी किया। वह भी सिरे नहीं चढ़ पा रहा है। इस वजह से कई तरह की महत्वपूर्ण जांचें जो पूर्व में बिलकुल मुफ्त होती थी, उन पर अब मरीजों को सैकड़ों नहीं हजारों रुपए खर्च करने की मजबूरी हो गई है।
वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्रयास जारी
जवाहिर चिकित्सालय में रेडियोलॉजिस्ट के सेवानिवृत्त हो जाने से सोनोग्राफी जांच की सुविधा ठप हुई है। यहां नए रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति के लिए सरकार को लिखा जा चुका है। तब तक कम से कम गर्भवती महिलाओं की नि:शुल्क जांच के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अस्पताल में पैथोलॉजिस्ट के नहीं होने से भी जांच प्रक्रिया में परेशानियां आ रही हैं।
- डॉ. जेआर पंवार, पीएमओ, जवाहिर चिकित्सालय, जैसलमेर