23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Holi special: यहां मान्याएं है तो जज्बात भी: शहर से गांव तक उत्साह का ज्वार और बिखरे उल्लास के रंग

कलात्मक सुंदरता व गौरवमयी संस्कृति के कारण विश्व स्तरीय ख्याति अर्जित कर चुकी स्वर्णनगरी में होली पर्व मनाने का तरीका निराला ही है। यहां उत्साह से परिपूर्ण माहौल है तो मस्ती भी, भक्ति का माहौल है तो रीति-रिवाजों का निर्वहन भी, अपनत्व की भावना के साथ खुशियों का माहौल है तो उत्सव का उल्लास भी...। जैसलमेर में होल्काष्टïमी के दिन से इस पर्व को मनाना शुरू कर दिया जाता है।

less than 1 minute read
Google source verification
Holi special: यहां मान्याएं है तो जज्बात भी: शहर से गांव तक उत्साह का ज्वार और बिखरे उल्लास के रंग

Holi special: यहां मान्याएं है तो जज्बात भी: शहर से गांव तक उत्साह का ज्वार और बिखरे उल्लास के रंग

कलात्मक सुंदरता व गौरवमयी संस्कृति के कारण विश्व स्तरीय ख्याति अर्जित कर चुकी स्वर्णनगरी में होली पर्व मनाने का तरीका निराला ही है। यहां उत्साह से परिपूर्ण माहौल है तो मस्ती भी, भक्ति का माहौल है तो रीति-रिवाजों का निर्वहन भी, अपनत्व की भावना के साथ खुशियों का माहौल है तो उत्सव का उल्लास भी...। जैसलमेर में होल्काष्टïमी के दिन से इस पर्व को मनाना शुरू कर दिया जाता है। होली पर्व से पूर्व एकादशी की तिथि पर फाग खेलने के बाद यहां के पुष्करणा ब्राह्मïणों की गैरें निकलनी शुरू हो जाती है। होली से एक दिन पूर्व गड़ीसर तालाब पर बनी प्राचीन बगेचियों में गोठ का आयोजन किया जाता है। हकीकत यह भी है कि यहां के बाशिंदों के साथ-साथ होली के रंग विदेशी सैलानियों को भी रिझाते हंैं। इन दिनों स्वर्णनगरी में चारों ओर होली गीतों की गूंज सुनाई दे रही हैं। जिस तरह मथुरा, वृंदावन, गोकुल और बरसाना में भगवान कृष्ण के मंदिरों में भक्ति भाव से ओत प्रोत होकर रंग अबीर गुलाल उड़ाने के साथ फाग खेला जाता है, ठीक उसी तरह यहां भी प्राचीन दुर्ग के लक्ष्मीनाथ मंदिर में होल्काष्टïमी से फाग खेलना शुरू कर दिया जाता है।
सोनार दुर्ग में गंूजता है- बादशाही बरकरार...

जैसलमेर जिले में बादशाह-शहजादा बनाने की परम्परा वर्षों से आज भी कायम है। होली पर्व पर उल्लास के बीच सोनार किले के ऐतिहासिक सोनार दुर्ग में धुलंडी के दिन बादशाह और शहजादा का स्वांग होता है। इसमें एक बादशाह बनाया जाता है। इसी तरह शहजादों के स्वांग के लिए बालकों को तैयार कर बिठाया जाता है। बादशाह का दरबार सजता है और माहौल में गूंजता है बादशाही बरकरार, शहजादा सलामत...