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फ्रांस के कारकासोन और जैसलमेर के बीच जुड़वा शहर समझौता

देश का पश्चिमी सीमांत जैसलमेर शहर और फ्रांस का ऐतिहासिक कारकासोन शहर विकास की राह पर एक साथ चलेंगे।

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देश का पश्चिमी सीमांत जैसलमेर शहर और फ्रांस का ऐतिहासिक कारकासोन शहर विकास की राह पर एक साथ चलेंगे। दोनों शहरों के बीच संस्कृति, विरासत और विकास कार्यक्रमों को साझा करने के लिए शनिवार को कारकासोन में जुड़वा शहर समझौता हुआ। इस समझौते पर कारकासोन के मेयर जेरार्ड लैरेट और जैसलमेर नगरपरिषद आयुक्त लजपालसिंह सोढ़ा ने हस्ताक्षर किए। इस मौके पर पूर्व राजघराने के चैतन्यराजसिंह भी सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में एवं कारकासोन के डिप्टी मेयर भी उपस्थित रहे। गौरतलब है कि नगरपरिषद आयुक्त इन दिनों डेनमार्क में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर प्रशिक्षण लेने गए हुए हैं। वहां से वे गत शुक्रवार को कारकासोन पहुंचे और इस समझौते पर भारत सरकार की ओर से हस्ताक्षर किए। सरकार ने इसके लिए उन्हें अधिकृत किया था। लजपालसिंह ने दूरभाष पर पत्रिका को बताया कि जिस तरह जैसलमेर एक ऐतिहासिक और कलात्मक शहर है, उसी तरह फ्रांस का कारकासोन भी बहुत पुराना और कलात्मकता से भरपूर नगर है। जैसलमेर की भांति वहां भी लिविंग फोर्ट है, जो रात के समय दूर से जैसलमेर के किले की तरह लाइटिंग में चमकता है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में दोनों शहरों के लोगों के बीच आवाजाही बढ़ेगी और दोनों शहरों की संस्कृति एवं विरासत को संजोए रखते हुए सतत विकास किया जा सकेगा।

दुर्ग प्रसिद्ध है कारकासोन का

जैसे जैसलमेर का सोनार किला इस नगर की पहचान है, वैसे ही कारकासोन का दुर्ग जिसे सीट डे कारकसोन के नाम से जाना जाता है, वह विशिष्ट पहचान रखता है। यह एक मध्ययुगीन किला है जो गैलो-रोमन काल का है और 1853 और 1879 के बीच इसे सिद्धांतकार और वास्तुकार यूजीन वायलेट-ले-ड्यूक ने बहाल किया था। मध्ययुगीन दुर्ग के असाधारण संरक्षण और जीर्णोद्धार के कारण इसे 1997 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में जोड़ा गया था। गौरतलब है कि जैसलमेर के सोनार दुर्ग को भी अनूठे वास्तुशिल्प और रिहाइश आदि के चलते यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जा चुका है। जैसलमेर की तरह कारकासोन पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर करता है। प्रतिवर्ष वहां लाखों की संख्या में फ्रांस घूमने पहुंचने वाले सैलानी जाते हैं।