यह है विशेषताएं
-बड़ा गिद्ध अथवा जीप्स हिमालयनसीस या हिमालयन ग्रिफॉन एक बड़े आकार का फीके पीले रंग का गिद्ध होता है, जो हिमालय में पाया जाता है।
- हिमालय में यह काबुल से भूटान, तुर्कीस्तान और तिब्बत तक पाए जाते है।
- यह एक अनूठा गंजे, पीले व सफेद सिर का गिद्ध है। इसके पंख काफी बड़े होते है।
- इसकी पूंछ छोटी होती है और गर्दन सफेद पीले रंग की होती है। उड़ते हुए इसका कुछ हिस्सा खाकी व उडऩे वाले पंखों का आखिरी छोर काले रंग का दिखता है।
- इसका ज्यादातर शरीर हल्के पीले-सफेद रंग का होता है।
- हिमालय में 1200-5000 मीटर तक की ऊंचाई पर देखे जा सकते है। इसमें नर व मादा एक जैसे दिखते है।
- ये गिद्ध दिन में सक्रिय होते है एवं आसमान में काफी ऊंचाई पर उड़ते हुए मृत जानवर को देखकर समूह में एक साथ नीचे उतरते है।
- गिद्ध की औसतन आयु 25 से 35 वर्ष तक होती है। इस दौरान एक जोड़ा बनाते है। यह जोड़ा साल दर साल एक ही घौंसले वाली जगह पर बार-बार आते है।
- दोनों मिलकर नया घौंसला बनाते है या फिर पुराने घौंसले को पुन: ठीक कर काम में लेते है।
फैक्ट फाइल:- - 200 से अधिक गिद्धों ने डाला पड़ाव
- 4 माह तक होता है गिद्धों का प्रवास
- 5000 किलोमीटर तक की दूरी तय कर आते है गिद्ध
एक्सपर्ट व्यू: अनुकूल माहौल के कारण जैसाण का रुख
वन्यजीवप्रेमी राधेश्याम पेमाणी ने बताया कि इस वर्ष अब तक यूरेशियन ग्रिफॉन, हिमालयन ग्रिफॉन व सिनेरियस वल्चर प्रजाति के गिद्धों ने जिले का रुख किया है। जिले में अब तक करीब 200 गिद्धों ने डेरा डाल दिया है। आगामी एक सप्ताह तक और भी गिद्ध आने की संभावना है। हिमालयन ग्रिफॉन प्रवासी गिद्ध है, जो सर्दी के मौसम में भोजन की तलाश में यहां पहुंचते है। ये गिद्ध हिमालय के उस पार मध्य एशिया, यूरोप, तिब्बत आदि शीत प्रदेश क्षेत्रों में निवास करते है। सर्दी के मौसम में नदियों, झीलों, तालाबों में बर्फ जम जाने और भोजन नहीं मिलने पर ये गिद्ध हजारों किलोमीटर का सफर तय कर पश्चिमी राजस्थान का रुख करते है। सरहदी जिला जैसलमेर पशु बाहुल्य क्षेत्र है। ऐसे में इन गिद्धों को यहां भोजन आसानी से मिल जाता है। मुख्य रूप से गिद्ध मृत पशुओं का सेवन करते है। जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रहता है। इसलिए गिद्धों को पर्यावरणप्रेमी भी कहा जाता है।