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25 अगस्त से शुरू होगा रामदेवरा मेला, जिम्मेदार अब तक उदासीन

लोक देवता बाबा रामदेव का वार्षिक अंतरप्रांतीय मेला आगामी 25 अगस्त से शुरू होगा, लेकिन मेला तैयारियों को लेकर अब तक कोई गंभीर पहल नजर नहीं आ रही।

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रामदेवरा. बरसाती पानी की निकासी के अभाव में मंदिर रोड की दुकानों में घुसा बरसाती पानी।

लोक देवता बाबा रामदेव का वार्षिक अंतरप्रांतीय मेला आगामी 25 अगस्त से शुरू होगा, लेकिन मेला तैयारियों को लेकर अब तक कोई गंभीर पहल नजर नहीं आ रही। हर वर्ष की भांति इस बार भी लाखों श्रद्धालु देशभर से रामदेवरा पहुंचेंगे, किंतु तैयारियां अब तक कागजों तक सिमटी हुई हैं।

मेला शुरू होने में अब केवल डेढ़ माह का समय शेष है, जबकि एक माह बाद श्रावण मास के शुक्ल पक्ष से ही श्रद्धालुओं की आमद प्रारंभ हो जाती है। ऐसे में मेला अवधि में आने वाली भीड़ को देखते हुए अब तक कोई उच्चस्तरीय बैठक नहीं हुई, न ही किसी विभाग ने अपनी तैयारियों की शुरुआत की है।

पग-पग पर अव्यवस्थाएं, सडक़ों से लेकर बिजली तक संकट

रामदेवरा की सडक़ों की हालत खराब है, जगह-जगह गड्ढे और क्षतिग्रस्त मार्ग परेशानी बढ़ा रहे हैं। बिजली की कटौती से स्थानीयजन पहले से त्रस्त हैं और मेला अवधि में यह चुनौती और गंभीर हो जाती है। बरसात में मुख्य सडक़ों और मंदिर मार्ग पर पानी भरने से श्रद्धालु कीचड़ व जलभराव के बीच दर्शन को विवश होते हैं।

मानसून सक्रिय, जलनिकासी बनी चुनौती

जुलाई से सितंबर तक मानसून सक्रिय रहता है। ऐसे में जलभराव रामदेवरा की सबसे बड़ी समस्या बन जाता है। कई नालों और निकासी मार्गों पर अतिक्रमण होने से पानी गलियों और दुकानों में घुस जाता है। निचले इलाकों में पानी दिनों तक जमा रहता है। इस बार भी यदि पूर्व तैयारी नहीं की गई तो लाखों श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय ग्रामीण भी परेशानी में पड़ सकते हैं।

85 अंडरपास में चार फीट तक पानी भरता है

रूणिचा कुआं मार्ग स्थित रेलवे अंडरपास संख्या 85 मेला अवधि में बड़ी चुनौती बनता है। बारिश के दौरान इसमें चार से पांच फीट तक पानी भर जाता है, जिससे वाहन तो दूर, पैदल चलना भी असंभव हो जाता है। यह मार्ग बाबा रामदेव के जीवन से जुड़े धार्मिक स्थलों तक पहुंच का मुख्य जरिया है। ऐसे में इस स्थान पर विशेष प्रबंधन की आवश्यकता है।

कोई विभाग सक्रिय नहीं, बैठकें तक नहीं हुईं

हर साल मेला शुरू होने से पहले उपखंड प्रशासन, जिला प्रशासन और संभागीय स्तर पर अधिकारियों के साथ बैठकें होती हैं, जहां विभागवार कार्यों की प्रगति पर निर्देश दिए जाते हैं। वहीं गत वर्ष की खामियों पर मंथन कर सुधार सुनिश्चित किया जाता है। लेकिन इस बार अब तक न कोई विभागीय बैठक हुई है, न ही काम की शुरुआत।

वार्षिक श्रद्धालु आंकड़े

जनवरी-फरवरी: 15 लाख
मार्च-अप्रैल: 5 लाख

मई-जून: 10 लाख
जुलाई-अगस्त: 20 लाख

सितंबर-अक्टूबर: 40-50 लाख
नवंबर-दिसंबर: 25 लाख

श्रद्धालुओं की भीड़ संभालना चुनौती बनेगा

25 अगस्त से 8 सितंबर तक चलने वाले मेले में करीब 40 से 50 लाख श्रद्धालु पहुंचने की संभावना है। इससे पूर्व सावन के दौरान ही 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की आमद होती है। ऐसे में सडक़, बिजली, पानी, चिकित्सा, यातायात, पार्किंग और स्वच्छता जैसी व्यवस्थाओं के लिए अभी से युद्ध स्तर पर कार्य शुरू करना होगा, तभी भीड़ को व्यवस्थित किया जा सकेगा।