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jalore roadways: आहोर बस स्टैंड पर नहीं आती रोडवेज बसें

आहोर में रोडवेज बस स्टैण्ड के बदतर हालात, सुविधाओं का अभाव, बसों का नियमित ठहराव तक नहीं

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jalore roadways: बस स्टैंड पर नहीं आती रोडवेज बसें

आहोर. उपखंड मुख्यालय स्थित रोडवेज बस स्टैण्ड लंबे समय से दुर्दशा का शिकार बना हुआ है।यहां नियमित रूप से अधिकांश बसों का ठहराव तक नहीं हो रहा।
कई वर्ष पूर्व भामाशाह ने बस स्टैण्ड भवन का निर्माण करवाकर रोडवेज को सुपुर्द किया था, लेकिन लंबे समय से सुविधाओं का अभाव है। समस्याओं का अम्बार लगा होने के कारण यात्रियों तथा बस चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। परिसर की डामर सड़क भी खस्ताहाल है। डामर के निशान तक नहीं है। इससे कंक्रीट बिखरी पड़ी है। ऐसे में चालक बस को स्टैण्ड पर लाने से कतराते हैं। वहीं यात्रियों को आवागमन में काफी परेशानी होती है। बदहाल मार्ग पर यात्रियों के लिए पैदल चलना भी मुश्किल है। बसें स्टैण्ड में प्रवेश करते ही हिचकोले खाना शुरू कर देती है। बदहाल सड़क के कारण कई बसें मुख्य मार्ग से सीधे ही निकल जाती हैं।


सफाई का अभाव
बस स्टैण्ड पर बना मूत्रालय मरम्मत तथा साफ-सफाई के अभाव में बदहाल है। फर्श बिखर गई है तथा रास्ते में कांटे बिखरे पड़े है। शौचालयों पर ताले जड़े हुए हैं। पेयजल के लिए लगाया हैंडपम्प भी बंद पड़ा है।

चंहुओर बदहाली का मंजर
बुकिंग खिड़कियां हर समय बंद तथा कार्यालय के बाहर ताला जड़ा हुआ है। कार्मिकों की कमी के कारण अव्यवस्थाओं का आलम बना हुआ है। कक्षों पर लगे दरवाजे टूट गए है। पेयजल के लिए बनी प्याऊ बदहाल है। फर्श परगंदगी पसरी हुई है।

नहीं हो रहा स्थान परिवर्तन
कस्बे में पिछले लंबे समय रोडवेज बस स्टैण्ड की दुर्दशा से नाराज कस्बेवासियों ने पूर्व में बस स्टैण्ड का स्थान बदलने की मांग की थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। कस्बेवासियों का कहना था कि जोधपुर तिराहे पर वर्तमान में सब्जी मंडी स्थित है। जो तिराहे के बिल्कुल समीप है। वहां रोडवेज बस स्टैण्ड को स्थानांतरित करते हैं तो सहूलियत मिल सकती है। खारा तिराहे के समीप भी सुविधाजनक हो सकता है, लेकिन इन प्रस्तावों पर अमल नहीं हो रहा।


पसरा रहता है सन्नाटा
कस्बेवासियों की मांग पर कुछ माह पूर्व रोडवेज ने चालक-परिचालकों को पाबंद कर स्टैण्ड पर बसों का ठहराव शुरू करवाया था, लेकिन अब भी अधिकांश बसें यहां नहीं आती।बस नहीं आने पर यात्री मुख्य मार्ग पर खुले आसमान
तले इंतजार में खड़े रहते हैं, जहां पेयजल, छाया व बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है।