
Putrada Ekadashi
Dev Uthani Ekadashi 2023: कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। देवउठनी एकादशी 23 नवंबर, गुरुवार को है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। देवी-देवताओं के जागरण के साथ ही सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी पर राजस्थान में 30 हजार से अधिक विवाह होंगे। दीपावली के बाद देवउठनी एकादशी का इंतजार सभी को रहता है।
श्रीदर्शन पंचांगकर्ता शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि पौराणिक यह माना जाता है कि चातुर्मास खत्म होने के बाद इस सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु व समस्त देवी देवता जाग जाते हैं। इस चार माह में सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। यही कारण है कि देवउठनी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। देवउठनी एकादशी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर रात 11.05 मिनट पर होगी व समापन 23 नवंबर रात 09.03 मिनट पर होगा। कार्तिक पूर्णिमा 27 नवम्बर नवम्बर को है।
त्रिवेदी ने बताया कि देवउठनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद चौकी पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें। भगवान विष्णु को चंदन व हल्दी कुंकुम से तिलक लगाएं। दीपक जलाने के साथ प्रसाद में तुलसी की पत्ती जरूर डालें। इसके अलावा तुलसी पूजन के लिए तुलसी के पौधे के चारों गन्ने का तोरण बनाएं। रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं व तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं। तुलसी पूजा व आरती के बाद प्रसाद वितरण करें।
देवउठनी एकादशी पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में निहित है कि देवउठनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु क्षीर सागर में नींद से जागृत होते हैं। अत: इस दिन से मांगलिक कार्य का भी शुभारंभ होता है। इसी के साथ इस दिन सिद्धि योग बन रहा है। सिद्धि योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
Published on:
22 Nov 2023 03:56 pm
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