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राजस्थान में खुलेंगी विकास की राहें, जानिए लूनी-भीलड़ी रेलमार्ग दोहरीकरण से क्या-क्या होगा फायदा

Luni-Bhiladi railway line Doubling Project : पश्चिमी राजस्थान के बहुआयामी विकास को आगामी दो साल में रफ्तार मिलेगी। लूनी-जालोर-भीलड़ी रेल लाइन दोहरीकरण प्रोजेक्ट से ऐसा संभव हो पाएगा।

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Luni-Bhiladi railway line Doubling Project : जालोर। पश्चिमी राजस्थान के बहुआयामी विकास को आगामी दो साल में रफ्तार मिलेगी। लूनी-जालोर-भीलड़ी रेल लाइन दोहरीकरण प्रोजेक्ट से ऐसा संभव हो पाएगा। प्रोजेक्ट के लिए रेल मंत्रालय की ओर से 7 मार्च को गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। करीब 271 किमी की रेल लाइन के दोहरीकरण का कार्य किया जाएगा। यह रेल रूट पूरे पश्चिमी राजस्थान के लिए कॉमर्शियल कॉरिडोर का काम करेगा।

जोधपुर से लेकर भीलड़ी (गुजरात) और उससे आगे गांधीधाम और भुज तक सीधी कनेक्टिविटी होने के साथ कोई भी प्रोडक्ट को लाना ले जाना आसान होगा। इसी रूट पर कांडला पोर्ट तक एक नया कॉरिडोर बन जाएगा, जिससे देश और विदेश तक पश्चिमी राजस्थान के प्रोडक्ट को भेजना और लाना आसान और सस्ता होगा। बता दें इस प्रोजेक्ट को फरवरी माह में ही कैबिनेट से मंजूरी मिली थी और प्रोजेक्ट के लिए 3530.92 करोड़ स्वीकृत किए गए थे। जिसके बाद अब गजट नोटिफिकेशन के साथ प्रोजेक्ट को रफ्तार मिलेगी।

जालोर ग्रेनाइट एसोसिएशन के सचिव हेमेंद्र भंडारी ने कहा कि रेल रूट से ग्रेनाइट के कच्चे माल को और तैयार माल को मंडियों तक भेजना आसान और सस्ता माध्यम होगा। अलग से रेल रूट मिलने के साथ कंटेनर यार्ड की स्थापना पर कोस्टिंग कम होने पर ग्रेनाइट उद्योग को फायदा होगा। वहीं, उत्तर पश्चिम रेलवे जोधपुर के पीआरओ पुरुषोत्तम पेरीवाल ने बताया कि लूनी समदड़ी भीलड़ी दोहरीकरण का प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी है। इस प्रोजेक्ट के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी हुआ है। अब आगे टेंडर प्रक्रिया चलेगी।

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समदड़ी-भीलड़ी ट्रैक पर 24 घंटे में 45 से 50 गुड्स ट्रेनें निकलती हैं। अक्सर यात्री गाड़ियां प्रभावित होती हैं। रेलवे को इस रूट पर बड़े राजस्व की प्राप्ति होती है। दोहरीकरण के बाद गुड्स ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से अलग हो जाएगी। यात्री गाड़ियों का रूट अलग होने से सवारी ट्रेनों की संख्या में भी वृद्धि होगी। जिससे सफर आसान होगा।

- जालोर, बाड़मेर, बालोतरा और सांचौर जिले में अनार, एग्रो प्रोडक्ट में जीरा, इसबगोल का बहुत ज्यादा उत्पादन होता है। अब तक इन प्रोडक्ट को बड़ी मंडियों तक सड़क मार्ग से पहुंचाया जाता है, गुड्स रूट अलग होने से यहां से प्रोडक्ट को आसानी से बड़ी मंडियों तक पहुंचाया जा सकेगा। जैसलमेर का लाइमस्टोन भी इसी रूट से होते हुए बड़ी मंडियों तक पहुंचाया जा सकेगा।

- एशिया की सबसे बड़ी ग्रेनाइट मंडी जालोर में है, तैयार माल ट्रकों से भेजा जाता है।
ट्रांसपोर्टेशन महंगा है, ट्रेन का अलग रूट मिलने पर ग्रेनाइट को देश के अलग-अलग हिस्से तक पहुंचाने पर 30 प्रतिशत तक फायदा होगा।

- भुज (गुजरात) पाकिस्तान की सीमा से सटता आर्मी बेस एरिया है। इसी तरह राजस्थान में बाड़मेर, जैसलमेर भी सीमा क्षेत्र है। जबकि जोधपुर में आर्मी कैंट एरिया है। रेल लाइन कॉरिडोर से आपात स्थिति में तीनों सीमा क्षेत्र के लिए यह आसान खुला रूट उपलब्ध रहेगा।

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