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Rajasthan News: एक प्रोजेक्ट से बदल जाएगी जालोर, बाड़मेर और सिरोही की किस्मत, 20 लाख बीघा जमीन पर छाएगी हरियाली

Jalore News: जून माह में सर्वे कंपनी ने प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट पेश की थी, जिसके बाद जयपुर में आयोजित बैठक में अधिकारियों ने कड़ाणा में पहुंचने वाले पानी का नदी वाइज आंकलन करने की रिपोर्ट मांगी थी।

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Kadana Dam

Kadana Dam: गुजरात में कड़ाणा बांध में 35 टीएमसी यानि 5 जवाई बांध के भराव जितना पानी ओवरफ्लो होकर खंभात की खाड़ी में जा रहा है। यह खुलासा वॉपकोस की फिजिबिलिटी रिपोर्ट में हुआ है। पश्चिमी राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट के तहत जालोर, बाड़मेर और सिरोही जिले को कड़ाणा बांध से पानी उपलब्ध करवाने की कड़ी में यह महत्वपूर्ण जीत है। इस रिपोर्ट के बाद अब प्रोजेक्ट के लिए डीपीआर बनने का रास्ता भी खुल गया है।

प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश की सीमा से मात्र 20 किमी दूरी पर गुजरात में सुजलाम सुफलाम नहरों में बह रहे पानी के पास ही हाई लेवल केनाल बनाकर पश्चिमी राजस्थान को लाभान्वित किया जाना है। वॉपकोस सर्वे कंपनी द्वारा पश्चिमी राजस्थान केनाल (डब्ल्यूआरसी) के मामले में फिजिबिलिटी रिपोर्ट राजस्थान सरकार 5 अक्टूबर को सबमिट की गई है। बता दें इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की क्रियान्विति के लिए 18 जून को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल को पत्र लिखा है।

इस तरह से आगे बढ़ा मामला

जून माह में सर्वे कंपनी ने प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट पेश की थी, जिसके बाद जयपुर में आयोजित बैठक में अधिकारियों ने कड़ाणा में पहुंचने वाले पानी का नदी वाइज आंकलन करने की रिपोर्ट मांगी थी। जिसके तहत पामेरी, जाखम, सोम समेत अलग अलग नदियों में उपलब्ध पानी का आंकलन करने के साथ फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की गई।

करीब 10 करोड़ में बनेगी डीपीआर

यह अहम प्रोजेक्ट पूरे पश्चिमी राजस्थान की तकदीर बदलने वाला होगा। प्रोजेक्ट के लिए जल्द ही डीपीआर के लिए कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। करीब 10 करोड़ रुपए की लागत से प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो सकेगी। बता दें पश्चिमी राजस्थान के अंतर्गत 20 लाख बीघा से अधिक क्षेत्र इस प्रोजेक्ट से भविष्य में सूखे क्षेत्र से सिंचित में तब्दील हो जाएगा। वहीं पेयजल के लिए भी पानी मुहैया होगा।

हमारी लड़ाई दो स्तरीय, एक में जीत

माही बेसिन प्रोजेक्ट से 1966 के समझौते के अनुसार जालोर समेत बाड़मेर, सिरोही का हक है। कड़ाणा बांध से हर साल ओवरफ्लो होकर जा रहे पानी के मामले में हमारी जीत हुई है। भविष्य में यह पानी पश्चिमी राजस्थान को मिलने वाला है। दूसरे स्तर पर 1966 में हुए समझौते के अनुसार बांध के पानी में से 2 तिहाई पानी पर हक का है। इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को अधिकरण गठित करने के लिए लिखा है। बता दें अंतरराज्यीय जल विवाद के लिए जल अधिकरण का गठन जरुरी है।

121 बार लगाई आरटीआई

संगठन के अध्यक्ष बद्रीदान नरपुरा ने बताया कि सभी के सहयोग से इस प्रोजेक्ट की क्रियान्विति के लिए प्रयास किए गए। दो राज्यों के बीच का मामला था, ऐसे में पुख्ता दस्तावेज के बिना कार्रवाई संभव नहीं थी। ऐसे में प्रदेश और गुजरात में 121 बार आरटीआई लगाकर विभिन्न साक्ष्य और दस्तावेज एकत्र किए गए। इस तरह से कुल 1795 पेज की आरटीआई के बूते इस प्रोजेक्ट में जान आई है।

किसान लड़ रहे तीन जिलों के हक की लड़ाई

राजस्थान किसान संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने हक की लड़ाई लडऩे की ठानी। जिसके तहत संगठन के संयोजक विक्रमसिंह पूनासा व अध्यक्ष बद्रीदान नरपुरा के नेतृत्व में संगठन ने कार्रवाई शुरू की। 1966 के समझौते के अनुसार पश्चिमी राजस्थान को पानी मुहैया करवाने के लिए 2021 में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई और इस मामले में 18 नवंबर 2022 को न्यायालय से माही बेसिन से इन क्षेत्रों को लाभान्वित करने के लिए प्लान तैयार करने के निर्देश जारी किए। जिसके बाद मामला हरकत में आया और उसी के अनुरूप यह कार्रवाई चल रही है।

इनका कहना

पश्चिमी राजस्थान के लिए यह अहम और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। मैं इस मामले में मुख्यमंत्री से मिल चुका हूं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को भी लिखा था। मामले में गुजरात और राजस्थान की संयुक्त बैठक होनी है। प्रोजेक्ट की जल्द से जल्द क्रियान्विति हो यही प्रयास रहेगा।

  • लुंबाराम चौधरी, सांसद

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