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3 साल के इंतजार के बाद…’एनएचएआई ने जालोर के ओवर ब्रिज से हाथ खींचे

locationजालोरPublished: Jun 20, 2018 10:30:08 am

Submitted by:

Khushal Singh Bati

मिनिस्ट्री ऑफ रोड एंड हाईवे ट्रांसपोर्टेेशन की ओर से आरओबी निर्माण की संभावना नहीं

Railway Over bridge in Jalore city

Railway Over bridge in Jalore city

जालोर. तीन साल के लंबे इंतजार के बाद जालोर-जोधपुर मार्ग पर प्रस्तावित सी-48 पर आरओबी का मामला एक बार फिर से अटक गया है और मामले में प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर प्रयास नहीं किए तो यह मामला सुलझने वाला नहीं है। नेशनल हाइवे-325 के अंतर्गत यह आरओबी आ रहा था, लेकिन चूंकि हाईवे के लिए बाईपास सी-44 के निकट प्रस्तावित है, इसलिए यह मामला अटक गया। लेकिन नेशनल हाईवे के अधिकारियों ने इसके लिए पिछले 2 साल में लगातार केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय को पत्र भेजे, उसके बाद 6 से 7 बार रिमाइंडर भी भेजे गए, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है और सूत्रों की मानें तो मंत्रालय की ओर से बीओटी श्रेणी के रेलवे क्रॉसिंग पर आरओबी के लिए सहमति मिलना लगभग नामुमकिन ही है। एनएच के अधिकारियों का कहना है कि अब यह कार्य सीआरएस पॉलिसी में पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत या टोल कंपनी द्वारा हो सकता है, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि अभी हाईवे के बाईपास का निर्धारण होना बाकी है, ऐसे में आरओबी का क्षेत्रभी उनके अंतर्गत ही है।ऐसे में अधिकार क्षेत्रनिर्धारण नहीं होने तक यह भाग एनएच का ही है।
ये बिंदु महत्वपूर्ण
जालोर से रोहट तक बीओटी रोड है और इस रोड पर कंपनी की ओर से टोल वसूली की जा रही है।ऐसे में पहले स्तर पर क्रॉसिंग पर आरओबी का निर्माण इसी कंपनी को ही करवाना चाहिए था।एनएच इस मार्ग को अधिकार क्षेत्र में लेता भी है तो मार्ग के इस हिस्से पर डवलपमेंट में काफी खर्चा भी आता है और इस पूरे भाग को हाईवे के श्रेणी में डवलप करना पड़ेगा, जो काफी महंगा होगा।ऐसे में राज्य सरकार चाहे तो टोल कंपनी से चर्चा करने के साथ इस क्रॉसिंग पर आरओबी निर्माण कंपनी से करवा सकती है और लागत राशि के अनुसार टोल वसूली की अवधि बढ़ा सकती है।
आगे क्या…
– कमीश्नर रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) पॉलिसी के तहत सर्वे के बाद यह आरओबी पीडब्ल्यूडी को सुपुर्द किया जा सकता है हालांकि केंद्रीय पॉलिस के अनुसार बजट केंद्र से आवंटित हो सकता है।
– जालोर-आहोर मार्ग पर टोल वसूली हो रही है चूंकि यह टोल रोड है तो राज्य सरकार चाहे तो टोल कंपनी को ही यहां पर आरओबी के लिए निर्देशित कर आरओबी में लगने वाली राशि की एवज में टोल वसूली की अवधि बढ़ा सकती है।
– मिनिस्ट्री ऑफ रोड एंड हाईवे ट्रांसपोर्टेेशन की सहमति के बाद आरओबी का निर्माण हो सकता है, लेकिन यह असंभव हैं, क्योंकि नेशनल हाईवे के लिए जालोर से बाईपास निकल चुका है।
इन दो पॉलिसी मेटर में अटक गया आरओबी
एनएच घोषित होने के बाद रेलवे इस आरओबी का निर्माण नहीं करवा पाएगी।जालोर-आहोर मार्ग पर टोल की वसूली कंपनी द्वारा की जा रही है। इसलिए एनएच ऑथोरिटी भी हस्तक्षेप से बच रहा।
2015 में मिली थी स्वीकृति
नेशनल हाइवे के नोटिफिकेशन के बाद इस क्रॉसिंग-48 , के अलावा बागरा के सी-56 और रानीवाड़ा-मालवाड़ा सी-109 के लिए भी बजट में आरओबी के लिए घोषणा की गई थी। इन तीनों आरओबी में सबसे महत्वपूर्ण सी-48 जालोर-जोधपुर आरओबी को माना गया था, लेकिन इस आरओबी का मामला अटक चुका है, जबकि शेष देानों आरओबी के लिए वर्कऑर्डर के साथ धरातल पर काम भी शुरू हो चुका है।
इनका कहना
मंत्रालय को इस आरओबी के लिए प्रोजेक्ट भेजने के बाद कई बार रिमाइंडर भेजे गए हैं, लेकिन वहां से काई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। बीओटी रोड की पॉलिसी में मंत्रालय की ओर से सीधे तौर पर सहमति मिलना काफी मुश्किल है।
– जेपी सुथार, एक्सईन, एनएच, बाड़मेर
राज्य स्तर पर प्रयास शुरू
एनएच के अधिकारियों से चर्चा में उन्होंने कहा है कि आरओबी वाला क्षेत्र एनएच से लेफ्ट ऑऊट पोर्शन है। इसलिए अब पॉलिसी के तहत एनएच के अंतर्गत इसका निर्माण नहीं हो सकता। हाल ही में चर्चा के बाद विभागीय स्तर पर इस आरओबी निर्माण के लिए उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव भेजा गया है।
– शांतिलाल सुथार, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी, जालोर

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