
- अकाल की छाया के बीच किसानों को फसल बीमा योजना से महरूम रखने की कोशिश, एक तरफ एजेंसी की मनमर्जी से किसान परेशान दूसरी तरफ प्रशासन की अनदेखी से जूझ रहे किसान
जालोर. अकाल, अतिवृष्टि और अल्प वृष्टि की मार झेलने के बाद भी कृषि क्षेत्र में मेहनत करने वाले किसानों के साथ इस बार फिर छलावा हो रहा है।एक तरफ मानसून सीजन होने के बाद भी बारिश नहीं हो रही है, तो दूसरी तरफ इन हालातों में किसानों को कुछहद तक राहत देने के लिए शुरूकी गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी एजेंसी की मनमर्जी की भेंट चढ़ रही है। ऐसे में साफ है कि इस बार कम बारिश होने पर फसल में खराबा होने या बुवाई नहीं होने के बाद भी इन किसानों को ोजना से फायदा नहीं मिल पाएगा। इधर, इस मामले में अधिकारियों का मौन किसानों को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा सकता है। जैसा कि पिछले वर्ष भी अल्प बारिश के दौरान जालोर और बाड़मेर जिले के किसानों को उठाना पड़ा था। मामले में खास बात यह है कि अऋणी किसानों के लिए पोर्टल 16 जुलाई को शुरूहोना था और फसल बीमा की अंतिम तारीख 31 जुलाई है।लेकिन 11 दिन गुजरने के बाद भी पोर्टल शुरू तक नहीं हो पाया है।ऐसे में किसान इस योजना का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।वहीं 28 तारीख को भी रविवार होने से अब योजना से जुडऩे के लिए केवल 3 दिन ही बचेंगे।
यों पहुंचेगा नुकसान
क्षेत्रवार किसानों के लिए बीमा और प्रीमियम राशि तय की गई है। चूंकि इस बार जालोर और बाड़मेर क्षेत्रमें बारिश नहीं के बराबर हुई है तो सीधे तौर पर योजना से जुडऩे पर नुकसान पर एजेंसी की ओर से किसानों को क्लेम मिलना ही है। किसानों का कहना है कि चूंकि अकाल की स्थिति दिख रही है।ऐसे में एजेंसी फ्यूचर जनरली इंश्योरेंस क्लेम के भुगतान से बचने के लिए पोर्टल की स्थिति को लेकर गंभीर नहीं है। जिससे किसान योजना से नहीं जुड़ पा रहे हैं। वहीं योजना के तहत बीमित किसानों को कम से कम 20 प्रतिशत या उससे अधिक नुकसान पर क्लेम का प्रावधान है।वहीं अधिकतम 8 0 प्रतिशत नुकसान का मुआवजा मिल सकता है।
जालोर-बाड़मेर जिले के साथ हो चुका है छलावा
किसानों की मानें तो इस साल कंपनी मनमर्जी कर रही है।ऐसे ही हालात पिछले साल भी अकाल की स्थिति में बने थे। जालोर-बाड़मेर जिले में अकाल की स्थिति में 16 00 करोड़ का फसल बीमा किया गया था।जिसमें 8 00 करोड़ बाड़मेर और 500 करोड़ का फसल बीमा क्लेम जालोर जिले के किसानों के भुगतान के लिए बन रहा था। लेकिन एजेंसी की मनमर्जी से किसानों को इसका फायदा नहीं मिला और अधिकारियों ने भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। इस साल जालोर जिले में 6 8 7 गांव अकाल ग्रस्त घोषित हुए थे। इस साल बुवाई जरुर हुई थी, लेकिन फसलें चौपट हो गई थी।जिसके बाद पटवारियों ने क्रॉप कटिंग सर्वे रिपोर्ट पेश की थी, लेकिन एजेंसी ने सर्वे को गलत ठहराते हुए भुगतान ही अटका दिया।
ये हैं इस साल प्रीमियम दरें और जोखिम स्तर
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले वाइज फसलों का बीमा योजना के लिए अधिसूचित फसलें, प्रीमियम दरें और जोखिम स्तर का विवरण दिया गया है। योजना के लाभ में केंद्र और राज्य का अंश निर्धारित है। इस लाभ को प्राप्त करने के लिए किसानों को पोर्टल से प्रीमियम का अंश जमा करवाना है।
जालोर में यह है अधिसूचित फसलें
जालोर जिले के लिए बाजरा मंूगफली, ग्वार, ज्वार, मूंग, मोठ, तिल अधिसूचित फसलें हैं। जिसमें बाजरा के लिए 14 हजार, मूंगफली के लिए 33 हजार, ग्वार के लिए 19 हजार, मूंग के लिए 18 हजार, मोठ के लिए 14 हजार और तिल के लिए 15 हजार रुपए बीमित राशि प्रति हैक्टेयर निर्धारित की गई है। इस बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए जालोर जिले के किसानों को पोर्टल के माध्यम से प्रीमियम राशि का 2 प्रतिशत भुगतान करवाना है। शेष प्रीमियम का अंश केंद्र और राज्य सरकार द्वारा भुगतान किया जाना है, लेकिन पोर्टल बंद होने से किसान इस योजना से नहीं जुड़ पाएंगे।
इनका कहना
किसानों के साथ छलावा हो रहा है। समस्या के बारे में अधिकारियों को अवगत करवाया जा चुका है।दूसरी तरफ योजना से जुडऩे के लिए कम दिन बचे हैं। जबकि पोर्टल भी बंद है, जिससे किसान इस योजना से नहीं जुड़ पा रहे हैं। पिछले साल भी किसानों से बीमा योजना के नाम पर छलावा किया गया था और लाभ मिला नहीं था। समस्या का निदान नहीं किया गया तो किसानों द्वारा आंदोलन किया जाएगा।
- रतनसिंह कानीवाड़ा, संभाग मंत्री, भारतीय किसान संघ
अब समाधान
पोर्टल पर कुछसमस्या आ रही थी। जिसकी सूचना मिली थी।अब समाधान कर दिया था।अऋणी किसानों के लिए समय कम बचा है। लेकिन निर्धारित समय में योजना से जुड़कर इससे फायदा प्राप्त कर सकेंगे।
- आरकेसिंह, उप निदेशक, कृषि विस्तार
Published on:
28 Jul 2019 10:48 am
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