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Indian Railways: राजस्थान के सांचौर को रेल लाइन से जोड़ने का सपना, क्या होगा इस नए सर्वे का नतीजा?

New Railway Line: जैसलमेर से सांचौर होते हुए गुजरात तक रेल लाइन की कनेक्टिविटी के लिए जिस प्रोजेक्ट की क्रियान्विति के 10 करोड़ रुपए का बजट जारी किया है।

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रेल लाइन। पत्रिका फाइल फोटो

जालोर। सीमावर्ती क्षेत्र में जैसलमेर से सांचौर होते हुए गुजरात तक रेल लाइन की कनेक्टिविटी के लिए जिस प्रोजेक्ट की क्रियान्विति के 10 करोड़ रुपए का बजट जारी किया है। वह नया नहीं हैै, बल्कि प्रोजेक्ट के लिए सर्वे 10 साल पूर्व ही हो चुका। बकायदा इस प्रोजेक्ट के लिए रेलवे की टीम ने स्टेशन भी तय किए और उसके बाद प्रोजेक्ट की अनुमानित कोस्ट के साथ इसे रेलवे बोर्ड को भेजा था। जिसके बाद इस प्रोजेक्ट में किसी तरह की हलचल नहीं हुई।

अब उसी प्रोजेक्ट के लिए फिर से सर्वे के लिए 10 करोड़ का बजट जारी किया गया है। अहम सवाल यह है कि यदि प्रोजेक्ट अहम था तो वर्ष 2014 में सर्वे की रिपोर्ट सबमिट के बाद इसे ठंडे बस्ते में क्यों डाला गया? दूसरी अहम बात यह भी है कि जब सर्वे रिपोर्ट सबमिट है तो नए सिरे से बजट जारी कर फिर सर्वे की क्या जरुरत है?

यह था रूट सर्वे

सांचौर क्षेत्र से होकर किए गए सर्वे के तहत इस रेल लाइन को जैसलमेर-भाभर रेल लाइन प्रोजेक्ट के तहत बाड़मेर के साथ ही संथालपुर (गुजरात), सुईगांव (गुजरात), वाव (गुजरात) होते हुए राधनपुर को जोडऩा था। अब नए सिरे से सर्वे के नाम पर फिर से शून्य से प्रोजेक्ट को शुरु किया जा रहा है।

प्रोजेक्ट का यह तीसरा सर्वे

2012 में हुए पहले स्तर के सर्वे में 370.71 करोड़ रुपए आंका गया था, लेकिन लैंड कोस्ट में अंतर के बाद क्वेरी में इस प्रोजेक्ट को 485 करेाड़ रुपए का आंका गया। रेलवे रेलवे कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट के अधिकारी का कहना है कि रेलवे का कोई भी प्रोजेक्ट जितना विलंब से शुरु होता है, उसकी कोस्टिंग भी उसी अनुपात में बढ़ती जाती है। प्रोजेक्ट सर्वे को 10 साल से अधिक समय गुजर चुका। अब जो भी नया सर्वे होगा। इस प्रोजेक्ट से दोगुना ज्यादा महंगा होने का अनुमान है। प्रोजेक्ट कोस्ट सर्वे के बाद ही तय हो पाएगी, लेकिन अनुमानित लागत 1 हजार करोड़ से अधिक होने का अनुमान है।

जालोर-फालना रेल लाइन: वर्ष 2002 में इस प्रोजेक्ट के लिए सर्वे हुआ। प्रोजेक्ट के तहत जालोर की आहोर होते हुए फालना तक कनेक्टिविटी होनी थी। इस प्रोजेक्ट के लिए 3 बार सर्वे हो चुके। रेलवे ने प्रोजेक्ट कोस्ट निकालने के बाद इसे फिजिबल नहीं माना। रिपोर्ट रेलवे बोर्ड में धूल फांक रही।

बागरा-सिरोही रेल लाइन: बागरा से सिरोही रेल लाइन के लिए भी 2 बार सर्वे हो चुके। 2015-16 में सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रोजेक्ट कोस्ट 1526 करोड़ रुपए आंकी गई। अब इसी लाइन के लिए फिर से सर्वे की घोषणा की गई। अनुमान के अनुसार प्रोजेक्ट की कोस्ट 2100 करोड़ से अधिक पहुंचने का अनुमान है।

485 करोड़ रुपए आंका था प्रोजेक्ट

8 सितंबर 2014 को रेलवे की टीम ने सर्वे रिपोर्ट रेलवे मुख्यालय को सबमिट किया। यह प्रोजेक्ट 485 करोड़ रुपए का आंका गया। इससे पहले स्तर इसी रूट के लिए इंजीनियरिंग सर्वे वर्ष 2012 में हुआ था। जिसके बाद 16 नवंबर 2012 को इसकी रिपोर्ट हैड क्वार्टर को भेजी गई। इसमें खामियां थी, इसलिए इस रिपोर्ट को रेलवे बोर्ड को नहीं भेजा गया। जिसके बाद अगस्त 2014 में फिर से इंजीनियरिंग टीम से इस प्रोजेक्ट की रिपोर्ट मांगी गई। टीम ने सर्वे कर 8 सितंबर 2014 को रिपोर्ट सबमिट की। इसकी रेट ऑफ कोस्ट के साथ रेट ऑफ अर्निंग भी जांची गई।

83 किलोमीटर आंका था प्रोजेक्ट

सितंबर 2014 में रेलवे की सर्वे टीम की ओर से सबमिट की गई रिपोर्ट के अनुसार इस रूट को 83 किलोमीटर आंका गया। इस रूट में 3 जगह पर रेलवे ओवरब्रिज, 17 रेंलवे अंडरब्रिज, 2 बड़े मेजर ब्रिज, 17 छोटे ब्रिज बनने थे।

इनका कहना है

पूर्व के जो भी सर्वे इस रूट के लिए हुए, उसमें आर्मी एरियाज होने से कुछ दिक्कतें थी। इस बार के सर्वे में इन सभी बातों का ध्यान में रखते हुए ही सर्वे टीम की ओर से कार्य किया जाएगा। मेरा व्यक्तिगत प्रयास रहेगा कि प्रोजेक्ट केवल सर्वे तक सीमित नहीं रहे। बल्कि डीपीआर बनने के बाद इस प्रोजेक्ट के लिए धरातल पर जल्द से जल्द कार्य शुरु हो जाए।
-उम्मेदाराम बेनीवाल, सांसद, बाड़मेर-जैसलमेर