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जानिए क्यों नेताजी ने मुंडवाया सिर, करने लगे विरोध

Jammu kashmir: विरोध करने का भी अलग-अलग ढंग होता है। बात ऐसे ही एक विरोध की। जब नेताजी को कुछ नहीं सूझा तो सिर ही मुंडवा लिया। जम्मू-कश्मीर...

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जम्मू

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Nitin Bhal

Nov 01, 2019

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जम्मू (योगेश). विरोध करने का भी अलग-अलग ढंग होता है। बात ऐसे ही एक विरोध की। जब नेताजी को कुछ नहीं सूझा तो सिर ही मुंडवा लिया। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने पर के साथ ही पैंथर्स पार्टी ने जम्मू को अलग राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर सत्यग्रह शुरू किया। पार्टी के प्रदेश प्रधान बलवंत सिंह मनकोटिया और वरिष्ठ नेता अनिल रकवाल ने अपने सिर मुंडवाकर विरोध जताया। कार्यकर्ताओं ने यह संकल्प लिया कि जब तक जम्मू संभाग को राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता है तब तक हमरा संघर्ष जारी रहेगा। पार्टी के प्रदेश प्रधान मनकोटिया के नेतृत्व में कार्यकर्ता तवी पुल पर महाराजा हरि सिंह की प्रतिमा के नजदीक इक_े हुए। हाथों में बैनर पकड़े कार्यकर्ताओं ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक पूर्ण राज्य था जिसको दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटकर उसका दर्जा कम कर दिया गया है। कार्यकर्ताओं ने बैनरों पर लिखा था कि हमें जम्मू राज्य चाहिए, हमें केंद्र शासित प्रदेश नहीं चाहिए, हम अलग जम्मू राज्य चाहते हैं। इससे पहले कि कार्यकर्ता महाराजा हरि सिंह की प्रतिमा के नजदीक सत्यग्रह शुरू करते वहां पर पहुंची पुलिस ने कार्यकर्ताओं को वहां से जबरन हटा दिया। कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए प्रेस क्लब के बाहर पहुंच गए। वहां पर मनकोटिया और रकवाल ने सिर मुंडवाया। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मनकोटिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू संभाग के लोगों के साथ धोखा किया है। डोगरा राज्य जम्मू-कश्मीर को विभाजित कर दिया गया जिसमें जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। 72 वर्ष के इंतजार के बाद भी जम्मू को न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले पुलिस और अन्य विभागों में नियुक्तियां की हैं, जिसमें कश्मीर घाटी को प्राथमिकता दी गई है। जम्मू को नजरंदाज किया गया। यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधिमंडल का दौरा भी कश्मीर तक सीमित रहा। इसमें भी जम्मू के साथ भेदभाव किया गया। जम्मू की अनदेखी अभी भी रुकी नहीं है। जम्मू संभाग को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। इस मौके पर कैप्टन अनिल गौड़, गगन प्रताप सिंह, शंकर सिंह चिब, धनी राम अत्री व अन्य उपस्थित थे।