
9 तारीख को लगता प्रसूताओं की जांच के लिए विशेष शिविर
जांजगीर-चांपा. जिला अस्पताल में प्रत्येक माह के ९ तारीख को प्रसूताओं की विशेष जांच शिविर में अव्यवस्थाओं का अंबार था। अस्पताल में न तो महिलाओं की ठीक ढंग से सोनोग्राफी हो रही थी और न ही पर्याप्त डॉक्टर थे। चंद सुविधाओं के माध्यम से मरीज की समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है।
शिविर में महिलाएं भटकते नजर आ रहीं थीं, लेकिन इनकी गंभीरता से इलाज करने वाला कोई नहीं था। मरीज नि:शुल्क इलाज के फेर कहें या दो रुपए बचाने, इलाज के लिए सैकड़ो किलोमीटर दूर से जिला अस्पताल पहुंचीं थी, लेकिन जिला अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही चरम पर था। इससे मरीजों का मनोबल टूटते नजर आया।
सरकार मरीजों को नि:शुल्क इलाज देने के लिए सैकड़ो नियम बनाती है, लेकिन डॉक्टर मरीजों की देखभाल के लिए संजीदा नजर नहीं आते। कुछ इसी तरह की व्यवस्था सरकार ने पिछले साल बनाई थी। जिसके तहत प्रत्येक माह के ९ तारीख को गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष जांच शिविर का आयोजन किया जाता है। प्रसूताओं का नि:शुल्क सोनोग्राफी की जाती है तो वहीं इन्हें हर तरह की जांच कर नि:शुल्क दवा प्रदान करना रहता है।
हर बार की तरह सोमवार यानी ९ तारीख को रिकार्ड १०९ प्रसूता जिला अस्पताल पहुंची थीं, प्रसूताओं की भीड़ को देखते ही डॉक्टरों को पसीना आ गया। भीड़ को देखकर ही डॉक्टर जैसे तैसे इलाज शुरू कर दिया। एक तो दो में से एक सोनोग्राफी को ही चालू किया गया। वहीं जिला अस्पताल का प्रमुख रेडियोलाजिस्ट घूमते नजर आए। वहीं एक सोनोग्राफी में जांच के लिए प्रसूओं की लाइन लगी रही। अस्पताल में प्रसूताओं की देखरेख के लिए न तो डॉक्टर गंभीर नजर आए और न ही जिम्मेदार डॉक्टरों का पता चला। मात्र दो डॉक्टरों के भरोसे १०९ प्रसूताओं की जांच पड़ताल शिविर में किया गया।
एक भी विशेषज्ञ नहीं
जिला अस्पताल में भले की गिनती के आंकड़े दर्शाने के लिए दो दर्जन डॉक्टर हैं, लेकिन जिला अस्पताल में एक भी एक ग्रेड के स्त्री रोग डॉक्टर की पोस्टिंग नहीं है। स्त्री रोग विशेषज्ञ की पढ़ाई कर भले ही अरविंद एक्का यहां पदस्थ हैं, लेकिन वे भी सेकंड क्लास के डॉक्टर हैं। उन्हें ए क्लास का दर्जा नहीं मिल पाया है। डॉक्टर पीसी जैन के रिटायर होने के बाद यहां क्लास वन स्त्रीरोग विशेषज्ञ की पोस्टिंग नहीं हो पाई है।
अस्पताल में गंदगी का आलम
जिला अस्पताल में लगे शिविर में जहां पर प्रसूताओं की जांच पड़ताल की जा रही थी वहां बदहाली का आलम था। कूलर का पानी फर्स पर गिरा पड़ा था। कचरे व गंदगी का आलम था। जिसे ठीक कराने डॉक्टर भी गंभीर नजर नहीं आए। डॉक्टरों को गंदगी ठीक कराने कहने पर भी वे भी बेबस नजर आए। नतीजतन प्रसूता इसी गंदगी के बीच जांच कराते नजर आए और डॉक्टर भी मरीजों को जैसे तैसे जांच कर मरीजों को चलता करते रहे। वहीं लाइन में लगे प्रसूताओं के लिए कूलर पंखे की भी व्यवस्था नहीं की गई थी। भीषण गर्मी में प्रसूता लाइन में लगकर जांच कराते नजर आए।
-९ तारीख के विशेष प्रसूताओं की शिविर में दो गु्रपों में प्रसूआतों की जांच पड़ताल की गई। सोनोग्राफी के संबंध में हम कुछ नहीं बोल सकते। जहां तक हो सके प्रसूओं की बेहतर जांच की गई।
-डॉ. अरविंद एक्का, स्त्री रोग विशेषज्ञ
Published on:
09 Jul 2018 05:30 pm
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